सम्भल । नवासा-ए-रसूल हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत यौमे आशुर पर ताज़िये का जुलुस निकाला गया। हज़ारों की तादात मे हुसैनी अक़ीदतमन्दों ने जुलुस मे शामिल होकर इमामे हुसैन को याद किया।
शनिवार को यौमे आशूर पर हर कोई नवासा-ए-रसूल हज़रत इमाम हुसैन की शहादत पर गमज़दा दिखाई दिया। शहर मे ताज़िये का जुलुस पुर अक़ीदत भरे माहोल मे लब्बैक या हुसैन की सादाओं के बीच निकाला गया। इमामबाड़ों से ताज़िये वाहनों पर खींचकर तैयार किये गये। सलाम, नोहा, नज़र जैसी रस्मे अदा होने के बाद इमामबाड़ों से ताज़िये यानी बड़े मोहर्रम के जुलुस शुरु हुआ। कागज़ी सराय, मंडी किशनदास सराय, सैफ खान सराय, नूरियों सराय, मोहिउद्दीनपुर के छोटे व बड़े ताज़िये चन्दौसी मार्ग से रोडवेज़ मार्ग होते हुए अस्पताल के चौराहे पर पहुंचे यहाँ चौधरी सराय, मोहल्ला नाला, चमन सराय, जगत के ताज़िये के साथ जुलुस विशाल जुलुस की शक्ल मे शुरु होकर बाल विद्या रोड, एजेंटी
तिराहा, खग्गू सराय से परियावली व आसपास के ताज़ियों के साथ नखासा चौराहे पर पहुंचे। यहाँ फ़तेहल्ला सराय, सलारपुर आदि के ताजियों से मिलाप हुआ तथा एक दूसरे के मुत्वल्ली, सदर आदि के बीच पगड़ी बांधे जाने की रस्म हुई। हुसैनी मार्ग पर सभी ताज़िये खोले जाने के बाद जुलुस सम्पन्न हुआ। जबकी छोटे ताज़िये हसनपुर मार्ग क़र्बला मे पहुंचे। इस मौक़े हर जुलुस कमेटी के अध्यक्ष रफीक राही, मोहम्मद उमर, सलमान नबी सम्भली, फ़ाज़िल, मतलूब, इकराम खान, गय्यूर अहमद, सालिम अशरफी, मुकीम साबरी, हाजी नसीम वारसी, इब्राहीम सभासद, हाजी पप्पू, नवाब साद आदिल आदि शामिल रहे।
सम्भल से खलील मलिक की रिपोर्ट