करबला के शहीदों की याद में सजाई जा रही हैं महफिलें
हजरत सैयद माजिद मियां कादरी के सरपरस्ती मे
शहीदाने करबला की याद में जिक्र
सम्भल। हयात नगर थाना क्षेत्र में नीम तले नवासा ए रसूल इब्ने हैदर हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और शहीदाने करबला की याद में जिक्र की महफिल सजाई जा रही हैं। मुस्लिम समुदाय इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफादार साथियों की शहादत को याद करके गमगीन है। इमाम हुसैन की याद में महफिलों को सजाया जा रहा है। शरबत और नजरे हुसैन बांटी जा रही है। करबला के मैदान में यजीद की फौज ने नवासा ए रसूल इनाम हुसैन उनके साथियों को भूखा प्यासा शहीद कर दिया था। संभल हयातनगर में शहीदाने करबला की याद में मजलिसें सजाई जा रही है। खत्मे कुरान पाक और फातिहा ख्वानी का सिलसिला जारी है। शुक्रवार को शहीदने करबला की याद में मजलिस सजाई गई और इमाम आली मकाम का ज़िक्र किया गया। करबला के दर्दनाक वकेआत सुनकर आंखें नम हो गई। शहीदों की शान में मरसिए पढ़े गए। सैय्यद मजीद मियां कादरी और उनके हमनावाओं ने पढ़ा कि शबीर को कुदरत ने ऐजाज ये बख्श है,
अहमद का नवासा है हैदर दुलारा है। इस्लाम के गुलशन को सींचा है लहू देकर, शब्बीर तेरे दम से दुनियां में उजाला है। इमाम हुसैन की सीरत और उनकी शहादत के मकसद पर तकरीर फरमाई। शायर ने मनकबत पढ़ते हुए कहा कि चराग जैसे अंधेरे में रोशनी के लिए, गमे हुसैन जरूरी है जिंदगी के लिए। मजलिस में अकीदतमंदो ने नबी और आले नबी की बारगाह में सलातो सलाम के नजराने पेश किए। हजरत सैय्यद मजीद मियां कादरी ने मुल्क और कौम की खुशहाली के लिए दुआ कराई। तबर्रुक बांटा गया।
सम्भल से खलील मलिक की रिपोर्ट