बदायूँ । शहर के इंद्रा चौक स्थित बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक ने एक खाताधारक को लोन देने से इंकार कर दिया और उस प्रबंधक का बातचीत लहजा बेहद खराब था जैसे पुलिस अपराधी के साथ व्यवहार करती है। उस तरीके का शाखा प्रबंधक का व्यवहार था अनगिनत सवाल अनसुलझे सवाल ग्राहक से कर दिए और ग्राहक काफी देर तक खड़ा रहा कुर्सी पर बैठने की व्यवस्था नहीं की गई। कहा जाता है कि ग्राहक देवता होता है फिर भी उसे सम्मान नही मिलता है।

यूपी सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्त्वाकांक्षी योजना के तहत कस्टमर को लोन देने से किया इंकार:

केंद्र व राज्य सरकार युवा बेरोज़गार युवाओं को लोन देकर को कुछ रोज़गार करना चाहती है तो वही बैंक प्रबंधक अपनी मनमानी पर उतारु है। शहर निवासी जुबैर नाम के एक युवक ने यह सोचकर लोन के लिए इक्कीस जुलाई को मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत जिला उद्योग केंद्र से रोज़गार करने के लिए आवेदन किया था। जिसके बाद सब जांच कर जिला उद्योग केंद्र ने फाइल बैंक ऑफ इंडिया भेजी जिसके बाद युवक ने बैंक के चककर लगाना शुरू कर दिए लेकिन बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक नहीं मिले लेकिन पच्चीस जुलाई दिन मंगलवार को बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक मिले युवक बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक से जाकर मिला उसने शाखा प्रबंधक से लोन के लिए आग्रह किया। साहब मुझे रोज़गार के लिए लोन चाहिए बस युवक का इतना कहना था कि बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक ने फौरन अनगिनत सवाल कर दिए पुलिस वाले अपराधी के साथ व्यवहार करते वैसा व्यवहार शाखा प्रबंधक ने किया। बिना फाइल देखे फालतू के सवाल करने लगा। जब बहुत आग्रह किया तो आवेदन के बारे में पूछा तुरंत यह कहने लगे कि मुझे जगह की रजिस्ट्री हाउस टेक्स वाटर टेक्स के कागज़ चाहिए युवक से ऐसे सवाल किये की युवक निराश होकर घर वापस आ गया। युवक का कहना था की मैंने पैसे खर्च करके ऑनलाइन आवेदन कराया लोन के लिए जगह जगह भागा दौड़ी कि लेकिन आखिर में निराशा ही हाथ लगी। जिसका मुझे बेहद दुःख है। युवक बोला मैं लोन के माध्यम से अपना इंटरनेट कैफे ऑनलाइन का कार्य करना चाह रहा था जिसकों करने के लिए मेरे पास जगह भी थी। लेकिन बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक के रबैयें ने सब मेरी मेहनत पर पानी फेर दिया।

युवक ने कहा मुझसे बैंक ऑफ इंडिया शाखा प्रबंधक ने लोन पास कराने के लिए मकान की रजिस्ट्री की मांग की जिससे मैं घबरा गया युवक का कहना था कि जब हमने सरकार द्वारा मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत आवेदन किया है और अपने सारें दस्तावेज़ पहले ही पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन में लगा दिए है तो सीधे बैंक जाते ही शाखा प्रबंधक द्वारा बिना जाचें परखे मकान की रजिस्ट्री की मांग एक दम क्यों कर दी गई।

बैंकों के प्रबंधक की हकीकत की एक नजर:

आरोप है कि अब सवाल यह है बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक को लोन देना ही नहीं था। तब इस लिए इस तरह का व्यवहार किया गया या फिर बैंक ऑफ इंडिया प्रबंधक को जहां से रिश्वत मिलती तब तुरंत लोन की कर देते है। सूत्रों के अनुसार बैंक ऑफ इंडिया समेत तमाम अन्य बैंकों में दलाल लगे हुए है जो कि अंदर खाने बैंक मैनेजरों से सेटिंग कर रखी है उनके कहने से बैंक मनेजर तुरंत लोन पास कर देते है। एक लाख पर दस से 15 प्रतिशत रिश्वत की मांग की जाती है लोन पास कराने के लिए दलालों द्वारा जिसके चलते बैंक मैनेजर मिलीभगत से लोन पास कर देते है। दलाल सक्रिय है। ऐसे भ्रष्ट ज़िम्मेदारों पर सरकार और प्रशासन द्वारा सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। देखना यह है ऐसे भ्रष्ट लोगों पर प्रशासन और बैक अधिकारी क्या कार्रवाई करते है।