शायर सैय्यद हुसैन अफसर के सम्मान में आयोजित ऑल इंडिया मुशायरे में शायरों ने पेश किए कलाम।

संम्भल। नगर के कमर पैलेस स्थित बज़्मे इंतेखाब के तत्वावधान में वरिष्ठ शायर सैयद हुसैन अफ़सर के सम्मान में आयोजित “एक शाम-सैयद हुसैन अफसर के नाम” शीर्षक से ऑल इंडिया मुशायरे का आयोजन किया गया जिसमे दूरदराज एवं मकामी शायरों ने अपने कलाम पेश किये।
मुशायरे में प्रोफेसर प्रोफेसर आबिद हुसैन हैदरी ने सैयद हुसैन अफसर की अदवी सेवाओं पर रोशनी डाली। मुशीर खां तरीन तौफ़ीक़ आज़ाद ,मुजाहिद नादां आदि ने शॉल व शील्ड देकर सम्मानित किया। इसके बाद मुशीर खां तरीन ने फीता काटकर मुशायरे का उद्घाटन किया। तंजीम आलम सैफ़ी एवं आरिफ प्रधान ने शमा रोशन की। मुशायरे का आगाज करते हुए तनवीर हुसैन अशरफी नाते पाक पेश की। इसके बाद ग़ज़ल के दौर का आगाज करते हुए जमाल हसनपुरी ने कहा-बदगुमानी वो इधर यार लिए बैठे है,हम इधर हसरतें दीदार लिए बैठे है। अनवर अमान फर्रुखाबादी ने कहा- हम तो रस्मे वफा निभा ना सके यार तू भी तो बेवफा निकला।


शाह आलम रौनक़ ने कहा- जिसका फ़रेब दिल की किताबों में कैद है, वह शख्स आज भी मेरी यादों में कैद है। मुकीत आगाज़ गिन्नौरी ने कहा- किस कदर था वह असरदार पता चलता है, बाद मरने के ही किरदार पता चलता है। सुल्तान अज़हर मुरादाबादी ने कहा- मैंने देखा तो पलट कर नहीं देखा उसने, मौत ऐसे भी हुई है मेरी बीनाई की। मुशायरे के आयोजक इंतखाब संभली ने कहा- तुम्हारे दर्द में शामिल तुम्हारा गांव नहीं, वो जिंदगी ही क्या है जिसमें धूप छांव नहीं। देवबंद से आये वसीम राजूपुरी ने कहा- सच लिखा तो सच के बदले में यह गम बक्शा गया, उंगलियां काटी गई तो यह कलम बख्शा गया। डॉ नसीमुज़्ज़फ़र ने कहा- किसी भी तरह आज उसके आगे मुस्कुरायेंगे, वह सोचता था उसके बगैर जिंदगी मुहाल है।
तौफ़ीक़ आजाद एडवोकेट ने कहा- मेरी उंगली में कांटा चुभ गया है, मैं कलियों की जवानी लिख रहा था। मशकूर साजिद ने कहा- मैं बिगड़ी बात बनाने के वास्ते साजिद,जमाने भर से जमाने की बात करता हूं। हकीम बुरहान ने कहा- पर तो सैयाद नै नोंचे मेरे जड़ से लेकिन,उड़ गया लेके मेरा जज़्बा ए परवाज मुझे। नोशाद सम्भली ने कहा- वादा शिकन हो वादा ए फ़रदा करोगे तुम,मालूम था तुम्हें आना तो है नहीं। अज़रा सम्भली ने कहा- मेरा जन्नत तवाफ़ करती है, मां के पैरों को जब भी देखती हूं। शेख वकार नोमानी ने कहा-मेरे ही घर में फ़क़त जुल्मतें न उतरेंगी,हवा चलेगी तो सारे चिराग गुल होंगे। तनवीर अशरफी ने कहा-मेरे कबीले की दस्तार किसको पेश करूं, किसी के दोश पे सर ही कहाँ सलामत है। जावेद नसीमी ने कहा- हाय वो लोग जो तसकीने दिलो जां थे कभी,क्या बिगड़ जाता है जो वो लोग भी जीते रहते। मुजाहिद नादान ने कहा- रोज टूटेगा अगर तू आईना हो जाएगा, और पत्थर बन गया तो देवता हो जाएगा। शकील गौस ने कहा- वफा के हौसले पहले सफर के देखते हैं, अजीब लोग हैं फिर पर कतर के देखते हैं।
देर रात तक चले मुशायरे में अज़हर इनायती, चांद फटाफट नेहटौरी,मोहम्मद सुल्तान खां कलीम,सैय्यद हुसैन अफसर,आरिफ बछरायुनी,तनवीर वस्फी,अदनान गौहर समीर सम्भली,कौसर सम्भली,कामिल मुरादाबादी,कदीर जाफिर,शुजा अनवर आदि ने अपने कलाम पेश किए। इस अवसर पर तंजीम आलम सैफ़ी,आरिफ अली प्रधान,मशहूद फारूकी एडवोकेट नवाब साद आदिल,मुजम्मिल हयात,आफताब हुसैन आफताब को अवार्ड देकर सम्मानित किया। मुशायरे में चौधरी वसीम एडवोकेट, शारिक जीलानी,ज़ुबैर उमर, ताहिर सलामी,आमिर सुहैल आदि शामिल रहे। मुशायरे की अध्यक्षता अज़हर इनायती व संचालन शकील गौस एवं शाह आलम रौनक़ ने संयुक्त रूप से किया। अन्त में बज़्मे इंतेखाब के अध्यक्ष इंतेखाब सम्भली ने सभी एक आभार व्यक्त किया।

सम्भल से खलील मलिक की रिपोर्ट