सम्भल। भारतीय मानव कल्याण समिति के प्रबंधक डॉ टीएस पाल ने कहा पौधों के पनपने और सुरक्षित रहने का सबसे अच्छा समय श्रावण मास होता है। वृक्ष ही जीवन है, इसांन को यदि इस धरती पर जीवित रहना है तो उसे सांस लेने की जरुरत है यदि सांस लेने में ऑक्सीजन नहीं होगी तो हम जीवित भी नहीं रहेंगे।

जिस तरह से रहना, खाना, पीना, सोना जरुरी है वैसे ही सांस लेना भी अति आवश्यक है। सांस लेने का एकमात्र जरिया है वृक्ष। यदि वृक्ष नहीं होगें तो हम ताजा सांस नहीं ले सकते, हमें जरुरी तत्वों की प्राप्ति नहीं होगी। देखा जाए तो जिंदगी का पर्याय ही वृक्ष हैं। मुख्य वक्ता बृजेन्द्र प्रसाद तिवारी ने कहा आज हम आधुनिक बनने की होड़ में वनों की उपयोगिता को ही भूलते जा रहे हैं।

बड़े-बड़े शहर, हाईवे, सड़क, यातायात, फैक्ट्रियां इत्यादि बनाने की चाहत में वनों को ही समाप्त करते जा रहे हैं। जिससे लाखों पशु-पक्षी विलुप्त होते जा रहे हैं। एक समय था जब सुबह की शुरुआत पक्षियों की चहचाहट के साथ होती थी। घर के आंगन में गौरेया दाना चुगने आया करती आती । लेकिन आज उन आवाजों की जगह ट्रैफिक के शोर-शराबों ने ले ली है। पेड़ों की कटाई के कारण बड़ी संख्या में पशु-पक्षी, कीट-पतंगे बेघर हो गए हैं। कुछ पशु-पक्षियों का तो नामों निशान भी खत्म हो गया है। हमें पशु पक्षियों का ध्यान रखना चाहिए।


इस दौरान पुजारी अतुल शंखधार,मनीष मिश्रा,सभासद तरुण नीरज,ओम प्रकाश गुप्ता,सुशील कुमार भोलेनाथ,हरीश कठैरिया,दिनेश चंद्र गुप्ता,डॉ जयशंकर दुबे,आकाश शर्मा, शिवा,ध्रुव आदि उपस्थित रहे।

सम्भल से खलील मलिक की रिपोर्ट