सम्भल। कहावत है रस्सी जल गई मगर बल नहीं गये। अपनी नाकामियो को अब दूसरे के सर फोड़ने के लिए तथा कथित डॉक्टर मनगढ़त आरोप लगा रहा है। खुद को अलग थलक देख अब समर्थन जुटाने के लिए हाथ पैर फैंक रहा है लेकिन गलत का साथ कभी सही लोग नहीं देते वह शायद यह भूल गये ।इन महाश्य की एक छोटी कहानी पर ज़रा गोर किजिएगा।
एक समय था जब इनकी प्रेक्टिस एक आम डॉक्टर की तरह जाने माने इज्ज़तदार परिवार के हॉस्पिटल से हुई। यहां इनके लिए तमाम तरह के प्रबंध किए गए। सारे ज़माने की तानाकशी झेलने के बाद भी इस इज्ज़दार जानेमाने परिवार ने इनके मान सम्मान मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। रहने सहन, खाने पीने ओर माह तनख्वा से लेकर आधे-आधे का मालिक बनाने ओर दाये बायें चलने के लिए चार छह वर्कर भी दिये। धीरे-धीरे उरूज पर पहुुंचाने मे भी कोई कसर नहीं छोड़ी। बड़े-बड़े होर्डिंग बैनर, पोस्टर भी लगवाये। एक समय आया तो उन्ही के मुकाबले औछी मानसिकता का परिचय देते हुए अपनी दुकान जमा डाली। इतने बड़े शहर मे कहीं जगह नहीं मिली वहीं अपना पउवा जमा लिया। मानकों की अनदेखी हुई ओर आसपास धार्मिक भावनाये आहत हुई तो भाजपा नेती की शिकायत पर शिकंजा कसना शुरू हो गया। एक शिकायत ने सारा घमण्ड चकना चूर कर दिया। स्वास्थ्य विभाग ने शिकायत मिलने पर अपनी ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया। कुछ दिनो यह मामला ठण्डे बस्ते में चला गया तो कोई नहीं बोला। अब कुछ तथा कथित चमचो से अपना टैम्पू बनाने के लिए फर्ज़ी डिग्री धारक ने सोशल मीडिया पर टेªड चलवाया शुरू कर दिया। यहीं अब एक बार फिर वह ऐसे हो गये हैं जैसे उनके सारे पाप धुल गये। गरीब का खून चूसकर पराये माल को अपना बनाने वाले तथा कथित घमण्डी चिकित्सक ने अब नाम भी चैज कर लिया है। हांलाकि अब अन्य कार्यवाहियां बांकी है ओर मानकों की पूर्ति अभी तक नहीं हुई है। थेड़ी से फार्मेलिटी स्वास्थ्य विभाग ने पूरी की तो तथा कथित घमण्डी डॉक्टर के पसीने छूट गये। कई दिन इधर-उधर दुपकने के बाद ले देकर अपने समर्थन मे कुछ लोगों को लगातार अब यह महाश्य अपने कर्मो को ढकने का भरसक प्रयास कर रहे हैं।
चर्चा है की जो लोग पहले इनका नशा उतार रहे थे।वह अब इनके समर्थन मे कूद पडे़ हैं। ओर संगठन इन महाश्य के कार्मो के चुप्पी साध गई क्योंकि यह मामला संगठन के खड़े होने का नहीं है। बल्कि स्वंय के कारोबार ओर मानकों की अनदेखी का है। शहर मे न किसी की दुकान ठण्डी हुई ओर न किसी का हाथ इन महाश्य तथा कथित डॉक्टर की दुकान को बन्द कराने मे है। अब बेचेरो को चाहिए क्या कुछ तो बहाना बनाना ही पड़ेगा। क्योंकि खिसयनी बिल्ली खम्भा नौच रही है।