बदायूँ। महापुरुष स्मारक समिति एवं सर्व समाज जागरुकता अभियान (भारत)के संयुक्त तत्वावधान में ओरछी चौराहा जनपद के सृष्टि सेंटर पर छायावाद युग के महान कवि पद्म भूषण सुमित्रा नन्दन पंत की जयंती एवं 1965 में एवरेस्ट पर भारत के तिरंगा फहराने का स्मृति दिवस धूमधाम से मनाया गया सर्व प्रथम मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने पंत जी के चित्र पर दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अध्यक्षता डॉक्टर राजीव कुमार गुप्ता ने की संचालन अंशु गोयल ने किया।आमंत्रित अतिथि मीडिया प्रभारी इंजीनियर प्रमोद कुमार शर्मा, पंडित सच्चिदानंद शर्मा, डॉक्टर सविता गुप्ता, डॉक्टर फैसल खान रहे।कार्यक्रम को संबोधित करते मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने कहा कि हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तं भो मे से एक है।इस युग को सुमित्रा नन्दन पंत, जय शंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जैसे कवियों का युग कहा जाता है।प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रा नन्दन पंत का जन्म 20 मई 1900 को कौसानी (ग्राम)जिला बागेश्वर उत्तराखंड में हुआ था।आपके पिता पंडित गंगा दत्त पंत तथा माता सरस्वती देवी थी।आपके पैदा होने के छह घंटे बाद माँ का निधन हो गया।आपका पालन पोषण बाबा दादी तथा पिता ने किया।आपके बचपन का नाम गोसाई दत्त पंत था।प्रारम्भिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में हुई इसके बाद म् यो र सेंट्रल कॉलेज में हुई।परंतु महात्मा गांधी के आह्वान पर 1921 में असहयोग आंदोलन के दौरान कॉलेज छोड़ दिया।पंत जी को बचपन से ही कविताओं को लिखने का शौक था पंत जी ने 7 बर्ष की अवस्था में पहली कविता लिखी।आपने पत्र पत्रिकाओं में संपादन भी किया।पंत जी का प्रकृत्ति चित्रण समकालीन कवियों में सबसे बेहतरीन था।आप अविवाहित रह कर पूरे जीवन साहित्य साधना में लगे रहे।पंत जी और हरिवंश राय बच्चन में गहरी दोस्ती थी, पंत जी ने ही महानायक अमिताभ बच्चन को अमिताभ नाम दिया था।पंत जी ने स्वतंत्रता आंदोलन के तह त 1930 में गांधी जी के नमक सत्याग्रह में भाग लिया।1950 में रेडियो बि भाग के हिन्दी चीफ प्रोड्यूसर के पद पर रहे।पंत जी आधुनिक हिंदी साहित्य के एक युग प्रवर्तक कवि हें।लोकाय तन पंत जी का महाकाव्य है।उनके काव्य संग्रह वीं णा,पल्ल व,गुंजन छायावादी शैली में सौंदर्य और प्रेम की प्रस्तुति हें।पंत जी के साहित्य में सेव जैसा सौंदर्य और अंगूर जैसी लावण्य ता है. ।पंत जी के काव्य में मानवतावादी दृष्टि को भी स्थान प्राप्त है।सुन्दर है विहग सुमन सुन्दर, मानव तुम सबसे सुन्दरतम।वह जाति, वर्गों में विभाजित मनुष्य को केवल मानव देखना चाहते हैं।पंत जी को 1960 में कला और बूढ़ा चांद के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1961 में साहित्य में पद्म भूषण पुरस्कार, 1968 में चिदंब रा के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार और लोकाय तन पर सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

महाकवि पंत जी का 28 दिसंबर 1977 को इलाहाबाद में स्वर्गवास हो गया उनकी काव्य रचना आज भी मनुष्य को प्राकृतिक होने का संदेश देती हैं।राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने आगे कहा कि 20 मई 1965 को भारतीय सेना के कैप्टन सी ए स कोहली एवं अवतार सिंह चीमा के नेतृत्व में नौ सदस्यों के दल ने एवरेस्ट पर भारतीय तिरंगा फहराया था। जिसमे पहले सेना दो बार असफल हो चुकी थी लेकिन इस दल ने 20 मई को तिरंगा फहराने के बाद भारत को विश्व में चौथा स्थान झंडा फहराने में दिलाया इससे पहले तीन देश इस गौरव को हासिल कर चुके थे।सभी देश को गौरवान्वित करने वाले इस दल को एक बार नमन।अध्यक्षता करते हुए डॉक्टर राजीव कुमार गुप्ता, संचालक अंशु गोयल, आमंत्रित अतिथि मीडिया प्रभारी इंजीनियर प्रमोद कुमार शर्मा, पंडित सच्चिदानंद शर्मा ,डॉक्टर सविता गुप्ता, डॉक्टर फैसल खान, कादिर खान, तारीफ खान, अमित कुमार, संजीव कुमार, सुरेंद्र सिंह फैसल मलिक ,लाल सिंह ने विचार व्यक्त किए।ल
व कुश, बबलू अली, चेतन, गुलाम, अरशद, नीतू, ज्योति, अफ़साना, नीरज, प्रीति, गजेंद्र सिंह, इम रान, सोहन लाल, सोहिल खान मौजूद रहे।