दिल्ली में चल रहे ऐतिहासिक किसान आंदोलन में आखिर वही हुवा जिसका डर तमाम किसान नेताओं और किसान प्रेमी देशवासियों को सता रहा था,आंदोलन के पहले ही दिन से ये आशंका लगी हुई थी कि आंदोलन को बदनाम करने के लिए हिंसा की साजिश रची जा सकती है और ये हिंसा फैलाने की साजिश कौन रच सकता है ये आम आदमी भी बखूबी अंदाज़ लगा सकता है,मगर इतने दिन से चल रहे आंदोलन में तमाम किसान नेताओं और वहां मौजूद किसानों की सबसे बड़ी चिंता यही रही कि पूरे आंदोलन पर सख्त निगाह रखनी है और ऐसे असामाजिक तत्वों को खोजना है जो इस तरह के गलत कदम उठा सकते हैं और उसका रिज़ल्ट सामने आया बीती रात जब सतर्क किसानों ने ऐसे एक युवक को धर दबोचा जिसका मकसद आंदोलन में हिंसा फैलाना था और उसके मुताबिक जिन चार किसान नेताओं के फोटो उसको दिए गए थे उनकी हत्या तक कर देना था,और कमाल की बात ये है कि उसके मुताबिक इस साजिश में पुलिस अफसर भी शामिल थे,किसानों की दूरदर्शिता और सक्रियता को सलाम जिसकी वजह से एक बड़ी घटना टल गई और अहिंसक ऐतिहासिक आंदोलन पर हमेशा के लिए वो दाग लगने से बच गया जिस दाग के बाद सदियों तलक किसानों की ऐसे आंदोलन करने की हिम्मत ही खत्म हो जाती,मगर सिर्फ एक ऐसे शूटर को पकड़ने से खतरा टल नही गया बल्कि अभी और ज़्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता इसलिए भी ज़रूरी है कि अदृश्य दुश्मन के तरकश में अभी ऐसे न जाने कितने तीर भरे होंगे जो वो इस्तेमाल करेगा और भरपूर कोशिश करेगा कि इस आंदोलन पर हिंसा और नाकामी का ठप्पा हमेशा के लिए लगा दिया जाए जिसके बाद ये गांव के किसान मजदूर कभी ख़्वाब में भी दिल्ली का रूख़ करने की जुर्रत तक न कर पाएं,बहरहाल आंदोलन के अंजाम का तो हमको नही मालूम मगर आग़ाज़ बेहद शानदार और ऐतिहासिक है और ऐसे ऐतिहासिक आंदोलन सदियों में एक बार ही हो पाते हैं,कड़क ठंड बेतहाशा बारिश और आंदोलन में शहीद हुवे अनगिनत किसानों की सामने पड़ी लाशें किसानों के जज़्बे और हौंसले को डिगा नही पाई है वहीं इस जज़्बे और हौंसले को फासीवादी हिटलरशाही ताकतें कभी बर्दाश्त नही करती बल्कि ताकत और ज़ुल्म के ज़रिए कुचल देना चाहती है अब देखने वाली बात ये होगी कि इस शानदार और ऐतिहासिक आंदोलन का अंजाम कितने वक़्त में और कितना सुखद होगा:(फैसल खान यू पी 24 न्यूज़)

By Monika