नाटकोें, पौराणिक साहित्य, लोक कथाओं और किवदंतियों में रही कठपुतलियों की भूमिका: संजीव
-कठपुतलियों से हुई भगवान वामन अवतार की कथा
-प्रखल बाल संस्कारशाला के बच्चे हुए सम्मानित

बदायूँ। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में चल रहे प्रखर बाल संस्कारशाला, उझानी के बच्चों ने उसहैत स्थित रसूलपुर नगला में कठपुतलियों के माध्यम से भगवान वामन अवतार की कथा का वर्णन कर अहंकार रूपी राक्षक का अंत करने, ज्ञानरूपी प्रकाश और निर्मल मन से समाज की निरंतर सेवा करने का संदेश दिया। गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि कठपुतली का खेल अत्यन्त प्राचीन और नाटकीय खेल है। नाटकोें की कथावस्तुओं, पौराणिक साहित्य, लोक कथाओं और किवदंतियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। भारत में समाज में फैली बुराईयों, कुप्रथाओं के प्रति ग्रामीण अंचलों में जागरूकता का संदेश दिया जाता था। रंगमंच पर कठपुतलियों के खेलों ने देश-विदेश में खूब लोकप्रियता हासिल की। कठपुतलियां स्वस्थ मनोरंजन का श्रेष्ठतम साधन हैं। भगवान वामन अवतार श्री हरि को महाराजा बलि से तीन पग भूमि दान में देकर अपने कर्तव्य को पूरा किया। अहंकार दूर होते ही बलि पर श्री हरि की कृपा हुई। समाजसेवी प्रेम शंकर शर्मा ने कहा कि वर्तमान की युवा पीढ़ी हर समय टीवी और मोबाइल के बीच रहकर भी उत्तम स्वास्थ्य और अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पा रही। समस्याओं का समाधान जरूरी है।संजीव कुमार शर्मा ने नेहा, अंश, आयुषी, कनक, रौनक, दीप्ति, अनुज, मृत्युंजय, हेमंत, खुशबू, सौम्या, भूमि आदि को सद साहित्य और गायत्री मंत्र का पटका पहनाकर सम्मानित किया।
इस मौके पर पंकज कुमार, कल्पना शर्मा, रीना शर्मा, आरती शर्मा, ओजस्व, लक्ष्य आदि मौजूद रहे।