उन बच्चों को बुलाया जिनके नाम पुरुस्कार पाने वालों में नहीं थे
सुबह दस बजे आए बच्चे शाम पांच बजे तक करते रहे अपनी बारी का इंतजार
मायूस बच्चे बोले माता पिता को अब किया दिखाएंगे, नही देना था तो पहले बताना था
सम्भल। मे सर सय्यद सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले बच्चों को पुरुस्कार दिए गए। जहां पुरुस्कार पाने वाले बच्चों के चेहरे खिल उठे तो वहीं जो बच्चे अपना पुरुस्कार पाने से वंचित रह गए उन्हें निराश होना पड़ा और वह मुंह लटकाए वापस घर को हो लिए।
कार्यक्रम नूरी पैलेस में रखा गया था। कार्यक्रम हॉल शिक्षकों , छात्र छात्राओं और अतिथियों से खचाखच भरा था। चूंकि गर्मी का मौसम है, हॉल में पंखे चलने के बावजूद उमस महसूस की जा रही थी। हॉल के बाहर पीने को ठंडे पीने का प्रबंध किया गया था।
अधिकतर विद्यालयों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर मंजेश राठी थे।
लेकिन बड़ा प्रश्न सपा नेता सईद अख्तर इसराइली ने उठाया जब उनसे पूछा गया कि कार्यक्रम में कैसा महसूस किया तब उन्होंने बताया उनके यहां से भी लगभग 20 छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया था लेकिन नाम किसी का नही आया। उन्हें नाम या इनाम से कोई सरोकार नहीं लेकिन सुबह 10 बजे बच्चों को बुलाया गया। साढ़े चार पर कार्यक्रम समाप्त हुआ।
यदि बच्चों के नाम पुरुस्कार में नहीं आए थे तब बताना चाहिए था। बच्चों के साथ बड़ों का भी समय बर्बाद किया। अब जो बच्चे आए थे वे मायूस होकर गए हैं।
किस तरह का प्रबंध किया गया था? उधर छोटे बच्चों का कहना था कि हम सब दस बजे से आए हुए हैं हमारे विद्यालय में परीक्षा है। हमे याद भी करना था,परीक्षा की तैयारी करनी थी, लेकिन सामान्य गांव प्रतियोगिता का पुरुस्कार लेने चले आए। अब अपने माता पिता को किया जवाब देंगे। हमे बिना शील्ड के जाना अच्छा नहीं लग रहा। वैसे जिन विद्यालयों के बच्चे प्रतियोगिता के विजेता थे उनके विषय में संबंधित विद्यालयों को पुरुस्कार वितरण के आयोजकों को पहले ही बताना चाहिए था। अब छोटे बच्चे मायूस होकर गए, इसका उनके मन पर गलत प्रभाव पड़ेगा।