भा.कृ.अ.प.-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर के पशु रोग शोध एवं निदान केन्द्र आठ दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम उत्तराखण्ड, असम, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल तथा महाराष्ट्र के कुल 15 पशु चिकित्साधिकारी भाग ल रहे हैं। यह प्रशिक्षण एन.सी.डी.सी. परियोजना के अन्तर्गत ’’जूनोटिक रोगों के निदान और नियंत्रण के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण’’ महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित किया जा रहा है।


प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारम्भ अवसर पर मुख्य अतिथि एवं संस्थान निदेशक एवं कुलपति, सम विश्वविद्यालय, डाॅ त्रिवेणी दत्त ने बताया कि पशु चिकित्सा क्षेत्र में नये शोध तथा नवीन तकनीकियों का उपयोग किया जा रहा है। पशुओं में नयी-नयी बीमारियों का प्रकोप हो रहा है। नयी बीमारियों की जाॅच एवं रोकथाम के लिए कैडराड के वैज्ञानिक लगातार प्रयोग कर रहे हैं। अतः पशु चिकित्साधिकारियों को नवीन तकनीकियों के बारे में सीखने की आवश्यकता है।
डाॅ कर्म पाल सिंह, संयुक्त निदेशक (कैडराड), पशु रोग शोध एवं निदान केन्द्र एवं परियोजना समन्वयक ने बताया कि लगभग 60-70 प्रतिशत बीमारियाँ जूनोटिक प्रकार की हैं इसको ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने जूनोटिक रोगों पर एक परियोजना स्वीकृत की है। इसी परियोजना के अन्तर्गत आठ दिवसीय प्रशिक्ष़्ाण का आयोजन किया जा रहा है। अभी पिछले तीन वर्षों में दो नयी बीमारियाँ लम्फी स्क्नि डिसीज एवं अफ्रीकन स्वाइन फीवर का प्रकोप अपने देश के पशुओं में देखा गया है। इन बीमारियों से पशुधन की काफी हानि हुई है।


इस प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को बू्रसेला, क्यू फीवर, स्कर्व टाइफर्स, रैबीज, एवियन इनफ्ल्युएन्जा, क्रिप्टोस्पोरीडिया, सिस्टीसरकस बीमारियों की जाॅच एवं बी.एस.एल.-।।। लैब की कार्य प्रणाली भी बतायी जायेगी। कार्यक्रम का धन्यवाद प्रस्ताव डाॅ ए.जी. तेलंग, प्रधान वैज्ञानिक, कैडराड ने प्रस्तुत किया। डाॅ गौरव कुमार शर्मा, बरिष्ठ वैज्ञानिक ने प्रशिक्षण की रूपरेखा प्रस्तुत की। डाॅ सुस्मिता नौटियाल, पी.एच.डी स्कालर ने प्रशिक्षण का संचालन किया।