20 फ़रवरी विश्व सामाजिक न्याय दिवस के अवसर पर विभाग के विभागाध्यक्ष श्री मुहम्मद शोएव द्वारा कहा की इंसान एक सामाजिक प्राणी माना जाता है। लेकिन इंसान की इस मुख्य विशेषता को तब चुनौती मिलती है, जब भेदभाव की वजह से एक इंसान दूसरे इंसान से जाति, रंग, धर्म, भाषा, प्रदेश, राष्ट्र, लिंग आदि के कारण नफरत करता है। समाज में फैले इस भेदभाव का एक बहुत बड़ा नुकसान उस समय नजर आता है, जब समाज में इससे हमारी न्याय व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ता हैं इस अवसर पर महाविद्यालय के तकनीकी विशेषज्ञ व कंप्यूटर शिक्षक श्री हाज़िर खान ने कहा की विश्व सामाजिक न्याय दिवस समाज में हर तबका एक अलग महत्व रखता है। कई बार समाज की संरचना इस प्रकार होती है कि आर्थिक स्तर पर भेदभाव हो ही जाता है।

ऐसे में न्यायिक व्यवस्था पर भी इसका असर पड़े, यह सही बात नहीं है। समाज में फैली असमानता और भेदभाव से सामाजिक न्याय की मांग और तेज हो जाती है। सामाजिक न्याय के बारे में कार्य और उस पर विचार तो बहुत पहले से शुरू हो गया था, लेकिन दुर्भाग्य से अभी भी विश्व के कई लोगों के लिए सामाजिक न्याय सपना बना हुआ है। सामाजिक न्याय का अर्थ निकालना बेहद मुश्किल कार्य है। इस अवसर पर महविद्यालय के संगीत शिक्षक भारतेंदु मोहन ने कहा की सामाजिक न्याय का मतलब समाज के सभी वर्गों को एक समान विकास और विकास के मौकों को उपलब्ध कराना है

इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ रोशन ,संगीत संकाय से श्री भारतेंदु मोहन ,समाजशास्त्र विभाग से ज़ाकिर हुसैन अंग्रेजी विभाग से फैसल शेख ,बी.एस.सी.विभाग से श्री आदित्य,जसीम खान,मु.सलीम विभाग के छात्र मिनहाज़,मु.उज़ैर,मु .मुशीर,वारिस पठान,मु.नज़ीरूल हसन,मु .अजमल हसन,मुस्लिम अंसारी खुशनसीब,फ़ातिमा रिज़वी,शविस्ता सरफ़राज़, रुकय्या खानम ,शाहिद ,इंतसाब,हुमायूँ, हुज़ैफ़ खान,मु .आदिल ,अनम .मु सोबान आदि छात्र छात्राओं द्वारा अपने अपने विचार प्रस्तुत किये गए।