आखिर किसकी शह पर हो गए ऐतिहासिक धरोहर ढंड झील पर अवैध कब्जे।

सहसवान। राजाओं की नगरी कहलाने वाला सहसवान कभी ऐतिहासिक धरोहरों की नगरी भी रहा है और ऐतिहासिक व सांस्कृतिक रूप से बेहद धनवान नगर है ऐसी बहुत सी किवदंतियों, मान्यताओं और ऐतिहासिक धरोहरों ने सहसवान को इतना महत्वपूर्ण नगर बनाया है जैसे सहस्त्रबाहु का टीला जिसके बारे में कहा जाता है कि ये कभी राजा सहस्त्रबाहु का महल था जिसे भगवान परशुराम ने क्रोधित होकर राजा सहस्त्रबाहु के महल को नष्ट कर दिया था वही महल आज टीले के रूप में दिखाई देता है और सहसवान के प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है समय के साथ इसकी ऊंचाई और चौड़ाई दोनों कम हो गए और कटान कर दिया गया वहीं अगर दूसरी धरोहर की बात करें तो जल के साथ स्रोतों से बना हुआ सरसोता भी बेहद महत्वपूर्ण स्थान है जिसके बारे में मान्यता है कि राजा सहस्त्रबाहु और भगवान परशुराम के बीच एक युद्ध हुआ था और जब भगवान परशुराम ने राजा सहस्त्रबाहु पर अपने फरसे से सात बार किए थे जो भूमि के जिस हिस्से पर लगे वहां से जल के साथ स्रोत बन गए वहां से जारी स्रोतों से जो जल बहता था वह जल सरसोते से राजा सहस्त्रबाहु के टीले से होता हुआ कई किलोमीटर दूर जाकर महावा नदी में गिरता था उसी कई किलोमीटर जल बहने से दंड झील का निर्माण हुआ था जो कभी सहसवान की शान हुआ करती थी। लेकिन आज दंड झील सूखने के बाद जो भूमि बची उसके अत्यधिक उपजाऊ होने के कारण इस जगह पर कुछ लोगों द्वारा अवैध निर्माण कर लिए गए और खेती शुरू कर दी गई। वहीं कुछ लोगों द्वारा इस जगह पर कब्ज़ा करके प्लाटिंग कर दी गई। वहीं पूर्व में बदायूँ के जिलाधिकारी दिनेश कुमार के संज्ञान मे जब सारा मामला पहुंचा तो उनके निर्देश द्वारा सरसोते से लेकर दंड झील तक अवैध खेती को नष्ट करा कर नहर को बुलडोजर द्वारा खुदवा कर पुनः चालू करा दिया गया लेकिन उनके तबादले के बाद कुछ लोगों ने नहर को पाटकर पुनः खेती करना शुरू कर दिया लेकिन एक सवाल यह भी उठता है कि इस भूमि पर अवैध निर्माण, अवैध प्लॉटिंग, अवैध खेती करने वालों को आखिर किस व्यक्ति का संरक्षण प्राप्त है और वो कौन है जिसके सामने आला अधिकारियों के आदेश भी बेहद बौने दिखाई देते हैं इस तहसील में पूर्व में कई विवादित कर्मचारी रह चुके हैं जिनके ऊपर बहुत आरोप लगे थे और उनके तबादले किये गए कुछ पर तो अभी भी विभागीय जांच चल रही है और उनके किये गए कारनामें आये दिन अखबारों की सुर्खियां बनते रहते हैं कहीं ऐसा तो नहीं कि इसमें भी उन्हीं कर्मचारियों का हाथ रहा हो अगर पूरे मामले की बारीकी से जांच की जाए तो ना जाने कितने लोगों पर गाज गिरती हुई नजर आएगी और कितने नाम सामने आएंगे। अब समाजसेवी शरीफुद्दीन के प्रार्थनापत्रों के बाद ये मामला जिलाधिकारी मनोज कुमार के संज्ञान में आते ही उन्होंने उपजिलाधिकारी सहसवान को जांच के आदेश दिए हैं। उप जिलाधिकारी सहसवान भी इस मामले को लेकर बेहद गंभीर हैं और उन्होंने टीम गठित कर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं जिसको लेकर अवैध कब्जा करने वालों में हड़कंप मचा हुआ है और कई लेखपालों के यहां देखे जा सकते हैं वहीं इस समय भी एक लेखपाल का नाम लोगों की ज़ुबान पर है उसके निवास के बाहर अक्सर मोटर साइकिलें दिखाई देती हैं। अब देखना रोचक होगा कि क्या वाकई ये झील पुनर्जीवित होगी या दूसरे मामलों की तरह सांठगांठ करके इस मामले को यहीं दबा दिया जाएगा।