बदायूँ। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में नगर के समीपवर्ती गांव संजरपुर में चल रही प्रज्ञा पुराण कथा और पांच कुंडीय गायत्री महायज्ञ के तीसरे दिन ग्रामीणों ने लोक मंगल की कामना से यज्ञ भगवान को गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र की विशेष आहुतिया समर्पित की युवाओं ने नशा छोड़ने और मां भागीरथी को पावन बनाने का संकल्प लिया।
कथा शिरोमणि लीलाधर शर्मा ने त्याग और बलिदान की गाथा सुनाई। उन्होंने कहा कि भगवान त्याग और बलिदान की अग्नि परीक्षा लेते हैं। इन पर खरा उतरने वाला व्यक्ति विशिष्ठ शक्तियां और कीमती अनुभवों का भंडार पाता है। बड़े त्याग और बलिदान की आवश्यकता है। नये कागज पर नई स्याही से नये युग का इतिहास लिखा जाना है। चुके तो कई जन्मों तक पश्चाताप की कसक और कराह रहेगी।
प्रज्ञा मंडल के भवेश शर्मा ने कहा कि गुरु भगवान का साकार रूप है। विश्व धरा पर जब भी भारी संकट और विपत्तियां आई अवतारी चेतना धरती पर अवतरित हुई और मानव में देवत्व जगाने का कार्य किया। उन्होंने कहा मनुष्य अपने आप में अदभुत और महान है। मानव को बहुमूल्य अवसर स्वयं के उत्थान के लिए मिला है। संस्कारों के पोषण से व्यक्तित्व निखरता है। उदात्त और महान बनता हैं। प्रेमपाल गंगवार ने कहा कि नवीन समस्याओं के समाधान के लिए नया ज्ञान, नया इतिहास रचने वाला कोई व्यक्ति नहीं शक्ति होती है जो साधारण से मनुष्यों को भी देवता बनाने का कार्य करती है। सदचिंतन और सदभाव जगाती है।
प्रज्ञा मंडल के पंकज कुमार और भवेश शर्मा ने वेदमंत्रोच्चारण कर पांच कुंडीय गायत्री महायज्ञ संपन्न कराया। ग्रामीणों ने पांच कुंडीय गायत्री महायज्ञ में लोक मंगल हितार्थ गायत्री महामंत्र और महामृत्युंजय मंत्र की विशेष आहूतियां समर्पित की। गेंदनलाल पाल, सुरेंद्र सिंह, ममता शर्मा, सुजाता माहेश्वरी, वैभव शर्मा मुख्य यजमान के रूप में रहे। मातृशक्तियों और देवकन्याओं ने शक्तिकलश का पूजन किया। बच्चों ने आकर्षक रंगोली बनाई और यज्ञ की मुख्य वेदियों को सजाया । गामीणों द्वारा “घर-घर अलख जगाएंगे, हम बदलेंगे जमाना” के जयघोष से संपूर्ण गांव गुंजायमान रहा। इस मौके पर गेंदनलाल पाल, अनवीर, धर्मपाल, सुरेन्द्र सिंह, खेतलराम, प्राची, ओमप्रकाश, मोरम, रामेश्वर, खियाली, जुगेंद्र, राजेंद्र, कुंवार पाल, धर्मेन्द्र पाल आदि मौजूद रहे।