लेखपाल पर आरोप पत्र तय हो जाने के महीनों बाद भी नहीं हो रही है कोई कार्यवाही। पीड़ित ने जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री से की शिकायत।

ज़िला बदायूं के कस्बा सहसवान में सहसवान तहसील का विवादों से बहुत पुराना नाता रहा है। कई बार तहसील कर्मचारियों एवं भू माफियाओं के बीच सांठगांठ के आरोप लगते रहे हैं और तहसील के कई लेखपाल और कानूनगो कई बार विवादों के कारण चर्चा में रहे हैं।तहसील के बहुत से कर्मचारियों का तबादला इन्हीं विवादों के कारण हुआ है। अभी कुछ समय पूर्व उपज़िलाधिकारी महिपाल सिंह और अधिवक्ताओं का विवाद भी पूरे जिले में चर्चित रहा। अधिवक्ताओं ने रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगाकर कई महीनों तक तहसील के बहिष्कार किया था और महीनों तक सारा कामकाज ठप्प पड़ा रहा था और लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। कई बड़े अधिकारियों ने मध्यस्था कराने की कोशिश भी की थी लेकिन विवाद का कोई भी हल नहीं निकल सका था। अंत में और उपज़िलाधिकारी महिपाल सिंह के तबादले के बाद ही विवाद शांत हुआ था।
इस बार एक बार फिर सहसवान तहसील के एक लेखपाल द्वारा पुनः एक ऐसा कृत्य किया गया जिससे अधिकारियों ने उसे दोषी मानते हुए उसके किये गए कार्य से तहसील की प्रतिष्ठा को नुकसान माना। इस प्रकार के कठोर वक्तव्य के उपरांत भी आज तक इस लेखपाल पर कोई कठोर कार्यवाही नहीं की गई है।
कस्बा सहसवान के मोहल्ला हरना तकिया के निवासी रफ़ीक़ पुत्र नज़ाकत ने जिलाधिकारी से शिकायत करके उक्त लेखपाल के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग की है। पीड़ित का आरोप है कि पहले तो लेखपाल ने पीड़ित की मां से विरासत की रसीद काटने के नाम पर ₹5000 ठग लिए। जब पीड़ित को इसका पता लगा तो पीड़ित ने लेखपाल से जाकर पूछा कि विरासत की कोई रसीद नहीं काटी जाती तो बमुश्किल लेखपाल ने ₹4000 वापस किए और पीड़ित को देख लेने की धमकी भी दी और यह केवल धमकी ही नहीं थी बल्कि लेखपाल ने यह करके भी दिखाया और पीड़ित को धारा 67 के अंतर्गत एक फ़र्ज़ी मुकदमे में फंसा दिया और उसकी पुश्तैनी जमीन जिसकी उसे विरासत करना थी को भी विवादित बताकर उसकी भूमि ग्राम प्रधान के हवाले कर दी। पीड़ित ने उच्च अधिकारियों में जाकर शिकायत की और जांच की मांग की। जांच के आधार पर पीड़ित निर्दोष पाया गया और लेखपाल पर आरोप पत्र जारी हुआ। पीड़ित का आरोप है कई महीने बीत जाने के बाद भी आज तक उक्त लेखपाल पर कोई कठोर कार्यवाही नहीं की गई है और जांच के नाम पर मुझे यहां से वहां घुमाया जा रहा है, अगर लेखपाल निर्दोष है तो वो सारे अधिकारी दोषी हैं जिन्होंने मुझे निर्दोष पाया था और लेखपाल के विरुद्ध आरोप पत्र जारी किया था और अगर वो सब अधिकारी सही हैं और लेखपाल दोषी है तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए। पीड़ित ने IGRS के माध्यम से मुख्यमंत्री से भी इस मामले की शिकायत की है। अब पीड़ित की मांग है कि जिलाधिकारी बदायूं दोषी लेखपाल पर कड़ी कार्यवाही करें जिससे भविष्य में कोई भी कर्मचारी जनता का इस प्रकार मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न न कर सके।