उझानी। नगर के समीपवर्ती गांव तेहरा में मेरे राम सेवा संस्थान की ओर से चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन याज्ञवल्क्य मुनि और भरद्वाज ऋषि संवाद, शिवजी माता सती, दक्ष यज्ञ आदि की कथा हुई। कथावाचक सामाजिक संत श्री रवि जी समदर्शी महाराज ने कहा कि ईश्वर को न्यायकारी मानें। मनुष्य श्रेष्ठ कार्यों से अपने भाग्य को सौभाग्य में बदल सकता है। लकड़ी में घर्षण से अग्नि प्रकट होती है। उसी तरह श्रद्धा और समर्पण से ईश्वरीय सत्ता के दर्शन होते हैं।याज्ञवल्क्य मुनि और भरद्वाज ऋषि संवाद की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि प्रयागराज तीर्थ में स्नान के बाद मुनीश्वर अपने आश्रमों को लौटे रहे थे तभी भारद्वाज जी ने परम ज्ञानी याज्ञवल्क्य मुनि के चरण पकड़ कर रोक लिया। आदर पूर्वक उनके चरण कमल धोए और पवित्र आसन पर बैठाया। पूजा कर याज्ञवल्क्य के अपार ज्ञान का वर्णन अपनी पवित्र वाणी से किया बोले हे नाथ वेदों का तत्व आपकी मुट्ठी में है। मेरे संदेह को दूर करें। याज्ञवल्क्य जी ने उनकी जिज्ञासा शांत की।अज्ञानता से हानि होती है। इसीलिए समास्याओं के समाधान और हृदय की निर्मलता के लिए गुरु का मार्गदर्शन लें। देवाचार्य और दीपेश ने वेदमंत्रोंच्चारण किया। मुख्य यजमान पूर्व डिप्टी जेलर आगरा केएन मिश्रा, दयाशंकर मिश्रा, गीता मिश्रा, पोषाकी लाल यादव, हरिओम यादव रहे। इस मौके पर सत्येंद्र चौहान, विमल प्रजापति, विकास चौहान, नमन, देवेश गुलाटी, संतोष कुमार, राहुल अग्रवाल, संजय, आशुतोष चौहान, गजेंद्र सक्सेना, कुकू सक्सेना, गजेंद्र पंत, गौरव बाबू, राहुल अग्रवाल, कल्पना मिश्रा, अजय, कमलेश मिश्रा, शैलेंद्र मिश्रा,आदि मौजूद रहे।