भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान संसथान के प्रतीकारीय अनुभाग (इम्यूनोलॉजी सेक्शन) में दस दिवसीय कार्यशाला का आज शुभारम्भ हुआ। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग- (डीएसटी-एसईआरबी) द्वारा प्रायोजित इस कार्यशाला में ०९ राज्यों के २० स्नातकोत्तर एवं पीएचडी छात्र भाग ले रहे हैं।
अपने अध्यक्षीय भाषण में आईवीआरआई के निदेशक डॉ त्रिवेणी दत्त ने कहा कि इम्यूनोलॉजी स्वास्थ्य और रोग में प्रतिरक्षा प्रणाली के अध्ययन से संबंधित पशु चिकित्सा और चिकित्सा विज्ञान का एक महत्वपूर्ण अंग है। उन्होंने पशु स्वास्थ्य प्रबंधन और उत्पादन में आईवीआरआई के योगदान पर जोर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में आईवीआरआई की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए सभी प्रतिभागियों और पाठ्यक्रम आयोजकों को बधाई दी।
विशिष्ट अतिथि डॉ. एस.के. सिंह, संयुक्त निदेशक अनुसंधान ने कहा कि इम्यूनोलॉजी पशु चिकित्सा क्षेत्र के पाठ्यक्रम की एक महत्वपूर्ण शाखा है और अक्सर अन्य पैराक्लिनिकल विषयों से संबंधित होती है। उन्होंने कार्यशाला के पाठ्यक्रम की सराहना की क्योंकि इसमें पारंपरिक और आधुनिक इम्यूनोलॉजिकल तकनीकों दोनों को सम्मलित किया गया है।
डॉ. एस दंडापत, प्रभारी, इम्यूनोलॉजी अनुभाग ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने अपने संबोधन में अनुभाग की चल रही शोध गतिविधियों के बारे में प्रकाश डाला । उन्होंने इम्यूनोलॉजी सेक्शन द्वारा हाल ही में विकसित डक प्लेग वैक्सीन के बारे में भी उपस्थित लोगो को जानकारी दी। जो बत्तखों की एक महत्वपूर्ण बीमारी है।
कार्यशाला के पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. मिथलेश सिंह ने प्रशिक्षण के बारे में विस्तृत जानकारी दी। डॉ. सिंह ने बताया कि इस कार्यशाला में देश के 09 राज्यों के 20 पीजी/पीएच.डी. छात्र-छात्राएं भाग ले रहे हैं। छात्रों को संबंधित विषयों में आईवीआरआई के संकायों के साथ- साथ आईआईटी, गुवाहाटी, एम्स, नई दिल्ली, एनआईटी, प्रयागराज और पंजाब विश्वविद्यालय जैसे अन्य संगठनों के संकाय के साथ जुड़ने का अवसर मिलेगा। इस कार्यशाला का मूल उद्देश्य प्रशिक्षुओं में इम्यूनोलॉजी से संबंधित शोध कार्य करने के लिए आत्मविश्वास विकसित करना है। कुल मिलाकर, यह कार्यशाला पीजी/पीएचडी छात्रों के लिए उच्च अध्ययन करने और चल रहे गुणवत्तापूर्ण शोध कार्यक्रमों में प्रभावी योगदान देने के लिए उपयोगी होगी। इस कार्यशाला का उद्देश्य टीकाकरण और संक्रमण के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को समझने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों/दृष्टिकोणों के साथ-साथ नियमित अनुसंधान कार्य करने के लिए आवश्यक विभिन्न पारंपरिक प्रतिरक्षाविज्ञानी तकनीकों के बारे में जानकारी प्रदान करना है।
उद्घाटन कार्यक्रम का संचालन डॉ. शायमा लतीफ़, वैज्ञानिक, मानकीकरण विभाग द्वारा किया गया और डॉ. आर. सरवनन, वरिष्ठ वैज्ञानिक, इम्यूनोलॉजी अनुभाग द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम में पूर्व अनुभाग प्रभारी डॉ. टी.के. गोस्वामी और डॉ. अलका तोमर और संस्थान के अन्य वैज्ञानिक, डॉ. वी.पी. मौर्य, प्रमुख, पी एंड सी डिवीजन, डॉ. मनीष, डॉ. बबलू, डॉ. अजय, डॉ अभिषेक, छात्र और इम्यूनोलॉजी अनुभाग के कर्मचारी सम्मिलित थे।