सहसवान। नगर के मोहल्ला नया गंज नई बस्ती मैं रहने वाले राजेंदर पुत्र रामप्रसाद निवासी शांता पुरी काली मंदिर कासगंज मैं मकान मैं रहकर मांगने खाने का काम करता था लेकिन राजेंद्र के बड़े बेटे अनमोल 23 वर्ष की 8 वर्ष पहले तबीयत खराब हो गई जिसे मजबूरन दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज के लिए पैसे ना होने पर राजेंद्र ने कासगंज का मकान बेच दिया और पैसा अपने बेटे के इलाज में लगा दिया। कुछ पैसा बचा उसने सहसवान ननिहाल में आकर 6 वर्ष पहले ₹85000 की एक जमीन सहसवान के मोहल्ला नयागंज नई बस्ती में मलखान मोहल्ला नया गंज को ₹85000 दे दिए जो दामोदर पुत्र वीर साहय जमीन मालिक को देने थे लेकिन इस गरीब परिवार के साथ मलखान ने धोखाधड़ी करते हुए एक दूसरे परिवार से भी रुपए ले लिए और उनके नाम इस जगह को लिखवा दिया। इस बात को लेकर दोनों खरीदारों में रोजाना झगड़ा होता है जबकि इस परिवार का कहना है हमने ₹850000 दे दिए हैं और हम मांगने खाने का काम करते हैं। हमारे परिवार में 7 सदस्य हैं जिनके नाम पत्नी प्रेमलता, बड़ा पुत्र अनमोल 23 वर्ष, पुत्री शिवानी 15 वर्ष, बादल 12 वर्ष, रमेश 10 वर्ष, राज 8 वर्ष खुले प्लाट में टट्टीयो एवं पल्ली के सहारे उस में रहकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। बच्चों से पूछने पर बताया आपके पिता क्या करते हैं। उनका कहना था वह गोस्वामी है मांगने खाने का काम है। हम लोग पढ़ना चाहते हैं लेकिन इतना पैसा नहीं हो पाता जो पढ़ाई कर सकें जब हमने वहां के हालात देखें तो पाया कि जागरूक लोगों ने अभी तक इस परिवार की सूचना अधिकारियों को क्यों नहीं दी जबकि मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है लेकिन यह परिवार सभी योजनाओं से अछूता नजर आ रहा है जबकि नगर में 2 जगहों पर काशीराम कॉलोनी बनी हुई है। एक जांगीराबाद के आगे तो दूसरी डाक बंगले पर इस परिवार को इन दोनों कॉलोनियों में जगह भी दी जा सकती है और इनको प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए भी पैसा मिल सकता है लेकिन कुछ लोगों ने बताया की जो मकान की योजना है उसमें कुछ दलाल लोग पैसा लेकर ही मकान बनवाने के लिए फाइलों को आगे बढ़ाते हैं। इस परिवार पर जब खाने को ही नहीं है तो रिश्वत कहां से दे अब इस परिवार की ओर अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए कि कहीं इस कड़ाके की ठंड में इस परिवार पर कोई आफत ना आ जाए।