बदायूं, सहसवान। बताते चलें आजकल रोडों पर घुमंतू आवारा गायों के झुंड के झुंड देखे जा सकते हैं जिनकी वजह से एक्सीडेंट की घटनाएं बढ़ गई हैं इन्हीं की वजह से कई लोगों की जान भी चली जाती हैं लेकिन कहीं-कहीं किसी एक्सीडेंट में इनकी भी मौत हो जाती है लेकिन प्रशासन और सरकार इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है सरकार ने जो गौशालाएं बनवाई हैं उनकी भी स्थिति देयनीय है ऐसा भी देखा गया है गौशालाओं में भी भूख से कई गोमाताओं की जाने जा चुकी है अगर सरकार इस ओर ध्यान दे दे तो इन गायों को रोड से हटाकर अगर गौशालाओं तक पहुंचा दिया जाए तो शायद इन गांव गायों की भी जान बचाई जा सकती है और इन से टकराकर मरने वाले लोगों को भी बचाया जा सकता है मगर ऐसा होना आसान काम नहीं अब आप इस गाय को ही देखिए जरीफनगर से आगे ग्राम क़ादराबाद के गेट के सामने रात मैं किसी बड़े वाहन से टकराकर इसकी जान चली गई और रात से ही यह बीच रोड पर पड़ी है इसे कोई उठाने वाला तक नहीं है अगर बात राजनीति की जाए तो गोमाता के नाम पर बहुत बड़ी राजनीति की जाती है लेकिन सच्चाई साफ है सड़क पर पड़ी इस गाय को कोई भी देखने और उठाने वाला नहीं है न जाने कहां चले जाते हैं गौ माता से प्यार करने वाले गौ रक्षक सेना के सिपाही इन गौ रक्षक सेना के सिपाहियों को कम से कम इतना तो करना चाहिए कि जो एक्सीडेंट जैसी दुर्घटनाओं में जिन गौ माताओं की मृत्यु हो जाती है तो उन्हें कम से कम उठाकर एक गड्ढा खोद कर उसमें दफन कर दिया जाए ताकि इन्हें चील कौवे के नोचने से बचाया जा सके और इनकी ऐसी दुर्दशा ना हो।*सहसवान से सैयद तुफैल अहमद की रिपोर्ट*