बदायूं सहसवान। मोहर्रम की 10 तारीख में इमामबारगाह हुसैनी मंजिल से ताजियों को काफिला इकठ्ठा होकर गमगीन माहौल मैं मातमी धुनों के बीच विभिन्न मोहल्लों में होता हुआ मीरा साहब वाली दरगाह पहुंचा। जुलूस के दौरान लोगों में गम का माहौल रहा। मोहर्रम पर नगर के मोहल्ला नसरुल्लागंज जहांगीराबाद शाहबाजपुर वा मोहल्लों से ताजिये बारगाहे हुसैनी मंजिल पहुंचे। यहां से सभी ताजियों का जुलूस शुरू होकर तहसील के चौधरी मोहल्ला पठान टोला होते हुए मीरा साहब ईदगाह होता हुआ देर रात करबला पहुंचा। वहां पहुंचकर ताजियों का जुलूस पूरा हुआ। जुलूस के दौरान लोग ग़म ज़दा थे। माहे मोहर्रम कर्बला की शहीदों का ऐसा यादगार महीना है जिसके आते ही सारे का सारा माहौल गम ज़दा हो जाता है और मुस्लिम समाज के लोग ग़म में डूब जाते हैं। कर्बला के शहीदों को याद करते हैं। मोहर्रम की नौवी तारीख को पूरी रात हुसैन और शहीदों के नाम की महफिल सजाई जाती हैं। मानना है कि कर्बला की जंग जिसमें प्यारे नबी अकरम मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हसन हुसैन ने अपने 72 साथियों के साथ मरदूद यजीद की फौज से जंग लड़ कर शहीदी का दर्जा हासिल कर फतेह पाई थी। ताजियों का दीदार करने के लिए इमामबारगाह हुसैनी मंजिल में सोमवार की देर रात तक अकीदत मंदो का हुजूम लगा रहा मंगलवार को मेरे साहब वली की दरगाह में मेला भी लगाया जाता है। जहां लोगों ने पहुंचकर हुसैन की शहीदी को याद कर उनके नाम का लंगर कर लोगों को तक्सीम किया जाता है। वहीं, बहुत सी जगह पर इबादत तिलावत की महफिल भी सजाई जाती है। वहां हाजिर लोगों ने अदबो अहतराम के साथ नामे हुसैन की शहादत को याद किया तथा उनके नाम की तिलावत कर इबादत कर दुआएं मांगी। मेले से बच्चों और ग्रामीणों से आए लोगों ने जमकर खरीदारी की। सुरक्षा को लेकर सीओ चंद्रपाल सिंह व प्रभारी निरीक्षक संजीव कुमार शुक्ला, एसएसआई जगबीर सिंह, आदि पूरा फोर्स तैनात रहा।