बदायूँ। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुस्लिम पी.जी.कॉलेज ककराला बदायूं में एम.एस.डव्लू .विभाग द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया इस मौके पर मुख्य अतिथि के रुप मे कॉलेज के प्रबंधक श्री अजमल खान साहब और कॉलेज की प्राचार्य डॉ रोशन परवीन को विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा पुष्प भेट कर महिला शक्ति को नमन करते हुए कार्यक्रम का आरम्भ किया व महाविद्यालय के समस्त अध्यापकगण और छात्र छात्राएं उपस्थित हुए जिसमें एम.एस.डव्लू.विभाग के विभागाध्यक्ष श्री मुहम्मद शोएव ने अपने व्याख्यान में कहा की यह दिन महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा, प्यार प्रकट करते हुए शैक्षणिक, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। पूरी दुनिया में महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाती है, समाधान खोजे जाते हैं और संकल्प लिए जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिला जागरूकता और सशक्तिकरण का आयोजन है। जानकारी और जागरूकता महिलाओं और पुरुषों में भेदभाव मिटाने के सबसे बड़े हथियार हैं। इसकी शुरुआत तब हुई जब न्यूयॉर्क शहर में पोशाक बनाने वाले एक कारखाने की महिलाएं अपने समान अधिकारों, काम करने की अवधि में कमी, कार्य अवस्था में सुधार की मांग करते हुए जुलूस निकाल कर सड़कों पर उतर आई थीं। महिलाओं की समस्याओं के समाधान हेतु बीजिंग में एक विश्व सभा बुलाई गई थी। उसी दिन की स्मृति में प्रतिवर्ष 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इसका उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना था। शिक्षा पाकर लड़कियां आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनेंगी तो आर्थिक आजादी के साथ ही समानता की भावना भी पनपेगी। महिलाओं में अधिकारों के प्रति जागरूकता जरूरी है। तभी वे अपनी सुरक्षा खुद कर पाएंगी, तब समाज, पुलिस और कानून भी उनकी मदद करेगा। आज महिलाओं को अधिकार और महत्व देने का दिन है। महिलाओं की सुरक्षा, कल्याण एवं सुरक्षित मातृत्व को लेकर अनेकों योजनाएं तैयार की जाती हैं। इस दिशा में कई संस्थाएं कार्यरत हैं, परंतु सफलता तभी मिलेगी जब हर महिला अपने अधिकारों के प्रति सजग होकर पहला कदम खुद बढ़ाए। भारत में महिलाओं से संबंधित अनेक मुद्दे जीवित हैं और अनेक पैदा हो रहे हैं। भारतीय महिलाओं की स्थिति पर ध्यान दें तो दो असंतुलित चित्र सामने आते हैं। एक तरफ महिलाएं अपनी मेधाशक्ति, मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर धरातल से आसमान तक की ऊंचाइयों को छू कर अपनी प्रवीणता अर्जित कर रही हैं तथा देश को गौरवान्वित कर देश की प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ा रही हैं। यह एक गौरवान्वित चित्र है। दूसरा चित्र चिंतित और सोचने पर मजबूर कर देता है। जहां ना वह जन्म से पहले सुरक्षित है, ना जन्म के बाद। आजकल महिलाओं के साथ अभद्रता हो रही है। रोज ही अखबारों और न्यूज़ चैनलों में पढ़ते हुए देखते हैं कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़, सामूहिक बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं। ऐसी घटनाओं को सुनकर दिल और दिमाग दोनों कौंध जाते हैं, माथा शर्म से झुक जाता है और दिल दर्द से भर जाता है। महिलाएं पूरे देश में असुरक्षित हैं।इसे नैतिक पतन कहा जा सकता है। शायद ही कोई दिन हो जब महिलाओं के साथ की गई अभद्रता पर समाचार ना हो। नारी के सम्मान और अस्मिता की रक्षा के लिए इस पर विचार करना बेहद जरूरी है और रक्षा करना भी। अधिकतर महिलाएं कोल्हू के बेल की मानिंद घर परिवार में ही खटती रहती हैं और अपने अरमानों का गला घोट देती हैं। परिवार की खातिर अपना जीवन होम करने में भारतीय महिलाएं सबसे आगे हैं।
मां, बहन, बेटी, पत्नी, सखी, प्रेमिका, शिक्षिका हर रूप में करुणा, दया, सरंक्षण, परवाह, सादगी की अपार शक्ति है नारी, जिसने अंधेरों में सिमटी ना जाने कितनी जिंदगियों को योद्धा बनाया है।
इस अवसर पर विभाग के छात्र मुहम्मद अनस खान ने आज के दिन के इतिहास पर प्रकाश डाला व महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं, समाजशास्त्रियों द्वारा व्याख्यान दिया गया। इस उपलक्ष में कॉलेज के समस्त अध्यापक मोहम्मद शोएब, मुशर्रफ अली खान ,जसीम खान, मनीष, मोहम्मद अतहर,मोहम्मद जीशान ,अध्यापिका विनीता, निर्मला व शमशाद ख्वाजा मौजूद रहे और अपने विचार व्यक्त किए।समाज कार्य विभाग के छात्र छात्रा सुमैया खानम ,शबीना खान मोहम्मद अनस , आसिम बेग चंदन भारद्वाज,मणि भूषण सिंह,जेगम,सिमरन,अनु
मु.अज़ीम आदि …संचालन विभाग की छात्रा सिमरन द्वारा किया गया ।