बदायूं । आलणाबाद पाकिस्तान मे जन्मे , चित्रकार, हीरालाल सुथार (भदरेचा)
पिता , स्वर्गीय डाँ. श्री जीवाराम जी भदरेचा, गांव आलणाबाद पाकिस्तान ,
1971,से भारत पाक युद्ध मे अपना सबकुछ छोड़ कर भारत आए ,
खाने के लिए रोटी थी न पहनने के लिए कपड़े
1977  मे पिता का साया भी उठ गया
माँ छोटा बङा काम  सिलाई कढ़ाई कर के पढाया लिखाया
परिवार मे सबसे छोटे  हीरालाल भदरेचा को आर्ट का शोंक था इसलिए  हीरालाल ने आर्ट की लाइन पकङी और देखते ही देखते आज इनकी पहचान अमेरिका तक पहुंचीं,
पर हीरालाल कभी पैसों के पीछे नही भागे सिर्फ और सिर्फ  नाम के लिए मेहनत करते रहे ,और इनकी मेहनत रंग लाई
और इनका छोटा सा परिवार और सुखी परिवार है
अब दिल्ली आर्ट गैलरी, और अमेरिका की आर्ट गैलरी मे लगेगी इनकी बनाईं हुईं  पेटिंग*
राजस्थान के वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर, विश्वविख्यात चित्रकार हीरालाल भदरेचा ने डोनाल्ड ट्रम्प के एडवाइजरी बोर्ड के मेम्बर ‘फादर ऑफ मार्डन मार्शल आर्ट्स’ के नाम से फेमस ‘ग्रैंड मास्टर प्रोफेसर डाक्टर जसबीर सिंह’ की आदमकद पेंटिग –
बता दें कि राजस्थान के चित्रकार हीरालाल वो अद्भुद कलाकार हैं  यूनाइटेड नेशन जर्नलिस्ट
इंटर गर्वनमेंटल ऑर्गनाइजेशन (मुख्यालय)
सयुक्त राष्ट्र अमेरिका के सदस्य भी है  जो हर तरह का आर्ट एंड क्राफ्ट वर्क करने में माहिर हैं।

वे कैनवास पर लकड़ी पर पत्थर पर, राई, दाल, चावल के दाने पर मोम पर प्लास्टर ऑफ पेरिस से अपने कल्पनाओं के सुनहरे रंगों से उस कलाकृति को जीवंत कर देते हैं। आज हीरालाल भदरेचा चित्रकार किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं आज उनकी कला की सुगंध अमेरिका  तक पहुंची जहां उनका सपोर्ट किया भारतीय मूल के प्रेसीडेंट ट्रम्प के एडवाइजरी बोर्ड के मेम्बर फादर ऑफ मार्डन मार्शल आर्ट्स से चर्चित ग्रैंड मास्टर डॉ जसबीर सिंह ने। गौरतलब है कि श्री जसबीर सिंह अपनी वर्ल्ड स्पोर्ट्स मार्शल आर्ट्स काउंसिल जोकि यूनाइटेड नेशन इंटर गवर्नमेंट आर्गनाइजेशन से मान्यता प्राप्त है। उससे वह दुनिया की हर बेटी को आत्मसुरक्षित व आत्मनिर्भर बना रहे हैं। बता दें कि कि लेफ्टिनेंट जनरल ग्रैंड मास्टर वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर ऐडीटर डॉ जसबीर सिंह जी के नाम पहले भी कई तरह के वर्ल्ड रिकार्ड हैं पर आज उनके इस स्वर्णिम जीवन इतिहास में एक नगीना और जड़ गया है जिसका नाम है पूरे विश्व मीडिया में 51 दिन के अंदर 76 इंटरव्यू प्रकाशित होने का रिकॉर्ड दर्ज हुआ है।

उनकी बढ़ते यश का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूरे भारत में रोहतक, अहमदाबाद, गुजरात, राजस्थान के कलाकार उनकी पेंटिंग व आर्ट वर्क में लगे हैं क्योंकि श्री जसबीर सिंह ने दुनिया के हर बच्चे को आत्मसुरक्षित बनाने का दृढ़ संकल्प किया है और वह जल्द भारत आकर अपने सभी चाहने वालों से मिलने वाले हैं। और हीरालाल चित्रकार को  राष्ट्रपति के सलाहकार बोर्ड, व्हाइट हाउस, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सम्मानित प्रशंसा का प्रमाण पत्र। भी मिला
और  सुपर पावर  प्रैसीडेंट ट्रम्प एडवाइजरी बोर्ड यूएसए के मेम्बर सर्व सम्मानित श्री जसबीर सिंह द्वारा मिला महत्वपूर्ण सम्मान!  राष्ट्रपति युवा फिटनेस पुरस्कार यूएसए  सरकार हस्ताक्षर राष्ट्रपति ट्रम्प के हस्ताक्षर कीया हुआ सर्टिफिकेट  और पदक और पैच भी इनके नाम नामांकित हो चुके हैं ।

और इसके अलावा हीरालाल चित्रकार को राज्य स्तरीय एव नेशनल इन्टरनेशनल पुरस्कार अवार्ड्स सर्टिफिकेट, भी मिल चुके हैं जैसे कि, श्री विश्वकर्मा समाज संस्थान चोहटन, स्वदेश गौरव सम्मान, स्वदेश रत्न सम्मान, स्वदेश के अनमोल रत्न, और चित्रकार को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन से भी नवाजा गया।  चित्रकार को ऐसे तो अनेक अवार्ड्स मिल चुके हैं !अखिल भारत हिन्दू क्रान्ति सेना, सफर अवार्ड श्री विश्वकर्मा सुथार एकता फोर्स, राजस्थान सरकार द्वारा online प्रमाण पत्र, ऑन कोवीड 19 , आदि ऐसे बहुत संस्थाओं से भी  सर्टिफिकेट और अवार्ड्स मिल चुके है 


हाल ही में हीरालाल चित्रकार , राष्ट्रीय अवार्ड्स से भी नामांकित हो चुके हैं अपनी बनाईं हुईं लकड़ी की मात्र पौना एम एम बाय एक एम एम लङकी की कुर्सी / और बोटल के अन्दर मंदिर का माडल/ को भी रिकॉर्ड मै स्थान मिल चुका है।  हीरालाल चित्रकार ने 10बार वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं उसके अलावा पाँच और रिकॉर्ड्स भी एप्रूव हो चुका है 
तीन चार देशों से भी ऑफर आ चुके हैं रिकॉर्ड के लिए 
चित्रकार हीरालाल भदरेचा को
बाली अवस्था से कुछ करने का जुनून था, जैसे जैसे उम्र बढती गई वैसे अपनी अलग-अलग कारीगरी मे हाथ आजमाते गए, इन्होने अनगिनत लकड़ी के नमूने अपनी कल्पनाओं से बनाए की सात समुंदर पार भी बेशकीमती श्रेणी मे पहचाने जाने लगे विश्वभर मे हस्तशिल्प कारीगरी के मानचित्र मे जोधपुर का नाम दर्ज करवाने की पारंपरिक कला को बारीकी से उकेरने वाले हीरालाल भदरेचा का नाम सबसे पहले लिया जाता है जैसी भी कला हो उसके पीछे हाथ धोकर पङ जाते, जब तक उस फील्ड मे स्पेस्लिस्ट न हो जाते,
आज हीरालाल भदरेचा को (हीरालाल चित्रकार) के नाम से पूरा विश्व जानता है , आज हीरालाल चित्रकार किसीके मोहताज नही है,
हीरालाल चित्रकार आज तक लकड़ी मे भगवान 
श्री विश्वकर्मा जी की मूर्ति भगवान श्री गणेश जी की मूर्तियां  बोटल के अन्दर मंदिर का माॅडल, और लकड़ी की मात्र पौना एम एम बाय एक एम एम की कुर्सी बना चुके हैं, जिसे देखने के लिए लेंस का सहारा लेना पड़ता है, राई के दाने पे वर्ल्डकप का चित्र, घोड़े की पूंछ के बाल पे सीनहरी जेसे कईं चित्र बना चुके हैं, हाल ही मे राई के दाने पर कोरोना वायरस का चित्रण भी बानाया है,
इतना ही नहीं ये मिनिएचर्स का काम भी बैखूबी जानते हैं,  जेसे ऑयल पेंटिंग वाटर कलर पेंटिंग, पोर्टेट ग्लास पेंटिंग, गोल्ड एम्बोज पेंटिंग, फेब्रिक पेंटिंग, क्लोथ पेंटिंग,वाॅल पेंटिंग, थ्री डी पेंटिंग, माॅरडन आर्ट, कार्टून आर्ट, पेंसिंल स्केच, इत्यादी हर एक तरह की कारीगरी इनके रोम रोम में भरी है, इतना ही नहीं ये अपने दोनो हाथों से भी चित्र बना सकते हैं भदरेचा ने सन् 1984 मे सिनेमा के पोस्टर भी बनाने का काम कर चुके हैं। 
हीरालाल चित्रकार का मानना है कि पैसा कमाना आसान है पर नाम कमाना बहुत कठिन है, इसलिए हीरालाल आए दिन कुछ न कुछ नया अद्भुत कार्य करते रहेते है , इनकी कारीगरी केवल यहाँ तक सीमित नहीं , हीरालाल क्ले आर्ट और पेपरमेशी का भी काम बखूबी जानते हैं इसी कङी मे भदरेचा ने पत्थर की भी मूर्ति बनाने मे शोहरत हासिल की है जैसे राजा महाराजाओ की मूर्तियां बनाना देवी देवताओं की मूर्तियां बनाना हो तो कोई इनसे सीखे 
इनका मानना है कि हमारे विश्वकर्मा समाज में एक भी ऐसा इन्सान नहीं है जिनके हाथों में हुनर न हो
सभी जाॅगिङ समाज के लोगों के पास कोई न कोई कला होती ही है ढूंढने निकलोगे तो एक से बढकर एक कलाकार है उनके आगे मैं तो कुछ भी नहीं 
ये तो भगवान श्री विश्वकर्मा जी आ आशीर्वाद है जिनको कुछ सिखाने की जरूरत नहीं है। 
ऐसे ही विश्वकर्मा समाज के बच्चो को हुनर सिखाना नहीं पङता वो अपने आप सीखने लगते हैं 
जल्द ही माता रूकमणी देवी सामाजिक संस्था (रजि.) एवं अध्यात्मिक व मासिक पत्रिका व टीवी चैनल ‘जीवन तरंग’ परिवार की ओर से जोधपुर मे एक भव्य कार्यक्रम कर विश्व विख्यात श्री हीरालाल भदरेचा को माता रूकमणी देवी गुण गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया।