बदायूँ-भ्रष्टाचार मुक्ति अभियान के बैनर तले नारी के प्रति बढ़ते अपराध व निवारण के उपाय को लेकर बजीरगंज में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया ,जिसकी अध्यक्षता धन पाल सिंह ने की ,मुख्य अतिथि मुख्य प्रवर्तक हरि प्रताप सिंह राठौड रहे | कार्यक्रम का शुभारंभ कवियत्री सरिता चौहान की सरस्वती वंदना से हुई |

बिसौली से आए शायर फरीद इदरीसी ने कलाम पढा

जो भूला है वही माथे पै हम एहसान लिख देंगे
तिफले हिंद कैसे होते हैं कुर्बान लिख देंगे
तूने नज़रे बद डाली अगर धरती की जन्नत पै
तेरे सीने पे हम दाँतो से हिंदुस्तान लिख देंगे

हिलाल बदायूँनी ने पढा

इस मुल्क को औरत की ज़रूरत जो पड़ी है ।
रज़िया ये बनी लक्ष्मीबाई ये बनी है ।
ये हीर है राधा है ये सीता है सती है ।
कुर्बानियों का इसको मिला कुछ न सिला है ।
औरत है ये औरत यही बस इसकी खता है

पवन शंखधार ने पढा

जब से भारतीय संस्कृति गुमनाम हुई है ,
तब से गली मोहल्ले में मुन्नी बदनाम हुई है

सरिता चौहान ने पढा

कफ़न ओढ़कर के भी जीना आता है
ज़ख्मों को मुस्कान से सींना आता है
घ्रणा, द्वेष, मद घातक बैर से दूर रहो
सरिता को तो गरल भी पीना आता है

इसके अलावा अखिलेश ठाकुर और सुग्रीव वार्ष्णेय ने भी काव्य पाठ किया |
कार्यक्रम का संचालन कवि पवन शंखधार ने किया |
इस अवसर पर प्रमुख रूप से कैप्टन राम सिंह, डॉ राम रतन सिंह, एस सी गुप्ता, वेदपाल सिंह कठेरिया, राजकुमार मौर्य, गौरव शंखधार, एम एल गुप्ता, दीपक माथुर, रामगोपाल, अभय माहेश्वरी, एम एच कादरी, आर्येन्दर पाल सिंह, सतेंद्र सिंह, अखिलेश सोलंकी, भानु प्रताप सिंह , महेश चंद्र, जयकिशन आदि उपस्थित रहे ।