रिपोर्टर- सौरभ गुप्ता

सहसवान। एक ही हल्के पर पांच-पांच साल से तैनात हैं लेखपाल नहीं बदले जाते इनके हल्के।

योगी राज में भी मनमाफिक करते हैं कार्य हल्का लेखपाल नहीं सुनते पीड़ितों की।

आए दिन तहसील में लगा रहता है कुछ हल्का लेखपालों की शिकायतों का अंबार जब भी तहसील दिवस होता है तो अधिकतर शिकायतें राजस्व संबंधी होती हैं लेकिन उन्हें अधिकारियों तक नहीं पहुंचने दिया जाता है उनकी शिकायतों को बाहर ही बैठने वाले तहसील कर्मी जो आइजीआरएस की रसीद देते हैं वह संबंधित लेखपालों को बुलाकर वहीं पर ही हल्के के लेखपालों को शिकायत का झूठा निस्तारण करने के लिए उनका आवेदन दे देते हैं। जबकि प्रत्येक शिकायतकर्ता की शिकायत का पंजीकरण होना अनिवार्य है जिससे वह जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज हो सके लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता है। बताते चलें मामला तहसील क्षेत्र के ग्राम खिरकबारी मानपुर खाम परगना व तहसील सहसवान में ग्राम औरंगाबाद टप्पा जामनी के वेद राम, चरन सिंह, कालीचरन, श्रीपाल, जब हार, नरेश, देवकरन इनकी भूमि गाटा संख्या 125/5-125/2-125/4-125/3-170/2-व172/1 खेती करने के वास्ते तहसील से आवंटित की गई थी जिस पर भू माफियाओं का साया बैठ गया जो अमर सिंह, रामपाल, मनोज, सूरजपाल, रघुवीर, गोपाल,विजय सिंह, विजयपाल, मोरपाल मोर पाल सिंह, चित्र पाल, ने शिकायतकर्ता के अनुसार जबरिया बदमाशी के दम पर कब्जा कर लिया और हल्का लेखपाल से सांठगांठ कर कब्जा करे हुए भूमि पर सांठगांठ कर 120 बीघा जमीन के गेहूं रात्रि 21-4-2022 की रात्रि में उक्त दबंगों द्वारा काट ली गई मजबूर होकर आज प्रार्थी गण बदायूं जिला अधिकारी दीपा रंजन से मिलने के लिए अपनी शिकायत का निस्तारण न होने के कारण दबंगों द्वारा उगी हुई फसल को काट लिया गया और हिस्सा बंटवारा दबंगों ने आपस में कर लिया जिसमें भूमिका हल्का लेखपाल की नजर आ रही हैं अब देखना है कि कब तक हल्का लेखपाल एवं तहसील स्तर से जो जांच कमेटी 5 सदस्यीय लेखपाल एवं कानूनगो इस पर अपनी क्या रिपोर्ट लगाते हैं यह तो आने वाला समय ही तय करेगा