बदायूं। ऋषि कुटीर सागर ताल स्थित आर्य समाज बदायूं के प्रांगण में देव यज्ञ एवं सत्संग का आयोजन किया गया, और महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बोध की घटना का वर्णन किया गया l और बताया गया शिवरात्रि के दिन ही स्वामी दयानंद जी को वास्तविक शिव अर्थात ईश्वर प्राप्ति के मार्ग की और चलने की प्रेरणा मिली और गुरु विरजानंद की कृपा से उनको यह मंजिल हासिल हुईl महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने उस समय उपलब्ध सभी मजहब ,संप्रदायों के पवित्र पुस्तकों का अध्ययन किया और अंत में निष्कर्ष निकाला कि सृष्टि के प्रारंभ में परमपिता परमात्मा ने जो वेद ज्ञान दिया वह शाश्वत सत्य है सार्वभौमिक है l उसके आधार पर ही हमें जीवन जीना चाहिए और उसी मार्ग पर चलते हुए हम ईश्वर का साक्षात्कार कर सकते हैंl स्वामी दयानंद जी ने उस समय व्याप्त सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध अभियान छेड़ते हुए बताया वेद मार्ग पर चलकर ही हम सभी अंधविश्वास और कुरीतियों से बच सकते हैं और अपनी व सभी की उन्नति में सहायक हो सकते हैंl स्वामी जी ने सन 1875 में आर्य समाज की स्थापना की और नियम में लिखा
llसंसार का उपकार करना ही समाज का मुख्य उद्देश्य हैll यह संस्था आज भी संसार के उपकार में निरंतर में कार्य कर रही है l
बदायूं में आर्य समाज के कार्यकर्ताओं द्वारा द्वारा गुरुकुल, अनेक कन्या इंटर कॉलेज ,उझानी रोड पर अंत्येष्टि स्थल, शहर के मध्य में विशाल सत्संग भवन जिसमें बहुत बड़ा पुस्तकालय भी चलता रहा है संचालित किए गए थे l भविष्य में इस ऋषि कुटीर पर भी एक भव्य ऋषि वाटिका निर्माण की योजना है जिससे शुद्ध पर्यावरण रहेगा l जनपद के प्रमुख समाजसेवी एवं पूर्व प्रधान आर्य समाज धीरज सक्सेना जी के सौजन्य से आज संपन्न हुए इस कार्यक्रम में देशराज सक्सेना, राम प्रकाश सक्सेना ,राम प्रकाश सिंह वीरेंद्र गुप्ता जी, अमर पाल सिंह, सुरेंद्र पाल सिंह शाक्य ,सुरेंद्र कुमार मौर्य ,अमन कुमार सक्सेना, अवधेश कुमार सक्सेना, हरिओम वर्मा ,श्रीमती सुमन वर्मा ,श्रीमती श्रद्धा सक्सेना, श्रीमती शशि आर्य, गुलशन बग्गा ,भूपेंद्र पाल सिंह एडवोकेट पंडित चंद्रभान शर्मा ,वैदिक विद्वान आचार्य धरम वीर, वीर सिंह आर्य सहित अनेक आर्य समाजी कार्यकर्ता उपस्थित रहे l कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान ओमकार सक्सेना ने और संचालन मंत्री राजकुमार सत्यार्थी ने कियाl