पांच हजार देने के बाद भी डाक्टर शिशु की नहीं बचा सके जान
बदायूं। जिला महिला अस्पताल अवैध वसूली ,दलाली के लिए अब जाना जाता है। यहां अवैध वसूली का काम रुकने का नाम नहीं ले रहा है। चाहे वह टीका लगाने वाला कमरा हो या वार्ड हो यहां से लेकर लेबर रूम व पीएनसी वार्ड,एसएनसीयू वार्ड तक अवैध वसूली होती हैं। अधिकारी देख कर भी अनजान बने बैठे रहते हैं। और यह सिलसिला लगातार काफी लंबे समय से जारी है। यहां कर्मचारी भी बिना अवैध वसूली के काम नहीं करते हैैं। सरकारी सुविधाएं और वेतन पाकर भी अवैध वसूली करने वालों की भूख नहीं मिट रही है। एक ऐसा ही मामला महिला जिला अस्पताल में सामने आया है। जहां जबकि सरकार सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। इसके बावजूद भी समस्या जस की तस बनी हुई है। गर्भवतियों के परिजनों से डिलीवरी के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। यहां बैठे डाक्टर गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर देते हैं।सौ शैय्या का जिला महिला अस्पताल पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
बिल्सी थाना क्षेत्र के गांव रिसोली निवासी मुनेंद्र पाल सिंह की पुत्रवधू गर्भवती महिला शिल्पी पत्नी कवेंद्र सिंह को जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां ससुर मुनेंद्र पाल सिंह ने आरोप ने लगाया है। कि मैने अपनी गर्भवती पुत्रवधू को शुक्रवार को 3:00बजे के समय भर्ती कराया था।
जिसने एक शिशु को जन्म दिया कुछ समय बाद शिशु की हालत ज्यादा खराब होने लगी तभी आनन फानन में शिशु को गहन शिशु चिकित्सा वार्ड में भर्ती करा दिया गया। वहां के कर्मचारियों ने कहा कि बीस हजार रुपये दो तब भर्ती करेंगे। मैने कहा कि दो हजार ले लो मुझ पर बीस हजार रुपये नहीं हैं कर्मचारी नहीं माने फिर तीन हजार मैंने और दे दिए। फिर भी शिशु की हालत ज्यादा खराब होने लगी तब उन्होंने उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था। जहां शिशु की मौत हो गई।मैने इस संबंध में जिलाधकारी से शिकायत की है । जहां अधिकारियों के द्वारा मौके की जांच की गई है। अब देखना यह है कि जांच में जिलाधकारी अस्पताल कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई करती हैं।
डॉक्टर संदीप वार्ष्णेय एसएनसीयू नोडल अधिकारी ने इस संबंध में बताया कि एक नवजात शिशु की हालत खराब थी जिसे वेंटिलेटर की आवश्यकता थीं। जिसकी रुपये लेने को शिकायत आई थी। जांच चल रही हैं जो दोषी पाया जाएगा। उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
रिपोर्टर – भगवान दास