राज्य सरकार के दिशानिर्देशों के मुताबिक सभी स्कूलों को सुरक्षा नियमों का पालन करने का आदेश दिया गया है. स्कूल छात्रों को भेजने का दबाव नहीं बना सकते लेकिन छात्रों को स्कूल भेजने का अंतिम फैसला उनके अभिभावकों का होगा.
कोरोना के चलते पिछले साल मार्च से बंद स्कूल अब धीरे धीरे खुल गए हैं. नोएडा में पिछले सप्ताह से कक्षा 6 से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों के लिए स्कूल दोबारा खोल दिए गए हैं. हालांकि अभी भी कई परिजन अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर मन नहीं बना पाए हैं. यहीं वजह है कि ज्यादातर स्कूलों में इस दौरान केवल 10 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति ही दर्ज की गयी. अभी इन कक्षाओं के छात्रों के लिए फिलहाल सप्ताह में दो दिन स्कूल खोले जा रहे हैं. दिशानिर्देशों के मुताबिक, छात्रों के स्कूल आने का फैसला पूरी तरह से उनके अभिभावकों के हाथ में है. लोग अपने बच्चों को लेकर अभी भी डरे हुए हैं, इसका असर स्कूलों की अटेंडेंस पर भी पड़ा है.
अभिभावकों का डर है कम अटेंडेंस की वजह
नोएडा के एक स्कूल के अनुसार, “अभिभावकों की रजामंदी के बिना हम किसी भी छात्र को कक्षा में प्रवेश नहीं दे रहे हैं. साथ ही सभी पेरेंट्स से इस बात पर सहमति ली जा रही हैं कि यदि इस दौरान कोई छात्र बीमार पड़ता है, या उसे किसी तरह का इन्फ़ेक्शन होता है तो इसमें स्कूल की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी.” ऑल स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन की प्रेसिडेंट शिवानी जैन ने बताया कि, “हमने उन सभी स्कूलों का सर्वे किया है जो पिछले कुछ दिनों में खुले हैं. इस दौरान हमनें पाया है कि इन कक्षाओं में केवल 5-10 प्रतिशत छात्रों की उपस्थिति ही दर्ज की गयी है. स्कूल के टीचर, गार्ड और अन्य कर्मचारियों को अभी कोविड वैक्सीन नहीं दी गयी है जिसके चलते कई अभिभावक अभी भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर घबरा रहे हैं.”
कोविड के दिशानिर्देशों को लेकर सजग है स्कूल प्रशासन
कई स्कूलों के अनुसार वो स्कूल प्रशासन और सभी टीचर कक्षाओं में कोविड के दिशानिर्देशों का पूरी जिम्मेदारी से पालन करा रहे हैं. ये हम सभी के लिए सतर्क रहने और एहतियात बरतने का समय है. बच्चे वापस स्कूल आने से बहुत खुश हैं. गौरतलब है कि राज्य में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के लिए भी स्कूल 1 मार्च से खुल सकते हैं.