बदायूं। संस्था के सचिव पुनीत कुमार कश्यप एडवोकेट वह संस्था के सदस्यों ने स्वामी विवेकानंद जी के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर उन्हें शत शत नमन किया। और एक विचार संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता संस्था के सचिव पुनीत कुमार कश्यप एडवोकेट ने की व संचालन संस्था के कोषाध्यक्ष योगेंद्र सागर ने किया।
संस्था के सचिव पुनीत कुमार कश्यप ने कहा आज का दिन स्वामी विवेकानंद जी ने युवाओं के नाम कर दिया जिसे हम आज युवा दिवस के रूप में मना रहे हैं उन्होंने कहां की भारत के आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी को कोलकाता में हुआ था। विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वैसे तो उनका पूरा जीवन ही युवाओं के लिए प्रेरणा है। एक 25 साल का नौजवान सांसारिक मोह माया छोड़ आध्यात्म और हिंदुत्व के प्रचार प्रसार में जुट गया। संन्यासी बन ईश्वर की खोज में निकले विवेकानंद के जीवन में एक दौर ऐसा आया, जब उन्होंने पूरे विश्व को हिंदुत्व और आध्यात्म का ज्ञान दिया। 11 सितंबर 1893 में अमेरिका में धर्म संसद का आयोजन हुआ था। भारत की ओर से स्वामी स्वामी विवेकानंद शिकागो में हो रहे धर्म सम्मेलन में शामिल हुए। यहां उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत हिंदी में ‘अमेरिका के भाइयों और बहनों’ के साथ की।
उनके भाषण पर आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो पूरे दो मिनट तक तालियों से गूंजता रहा। भारत के इतिहास में यह दिन गर्व और सम्मान की घटना के तौर पर दर्ज हो गया।
संस्था के कोषाध्यक्ष योगेंद्र सागर ने कहा की हमारी मातृभूमि पर स्वामी विवेकानंद को समकालीन भारत के महान संत और एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है जिसने राष्ट्रीय चेतना को नया आयाम दिया जो पहले निष्क्रिय थी। उन्होंने हिंदुओं को एक धर्म में विश्वास करना सिखाया जो लोगों को ताकत देता है और उन्हें एकजुट करता है। मानव जाति की सेवा को देवता के स्पष्ट अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है और यह प्रार्थना का एक विशेष रूप है जिसे उन्होंने भारतीय लोगों से अपनाने के लिए कहा बजाए अनुष्ठानों और पुरानी मिथकों में विश्वास करने के। वास्तव में विभिन्न भारतीय राजनीतिक नेताओं ने स्वामी विवेकानंद की ओर अपनी ऋणात्मकता को खुले तौर पर स्वीकार किया है।
संस्था के सदस्य केंद्रभान सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद अक्सर लोगों से एक सवाल किया करते थे कि क्या आपने भगवान को देखा है? इसका सही जवाब किसी के पास नहीं मिला। एक बार उन्हें रामकृष्ण परमहंस से भी यही सवाल किया था, जिस पर रामकृष्ण परमहंस जी ने जवाब दिया था, हां मुझे भगवान उतने ही स्पष्ट दिख रहे हैं, जितना की तुम दिख रहे हो, लेकिन मैं उन्हें तुमसे ज्यादा गहराई से महसूस कर पा रहा हूं।
इस मौके पर योगेश पटेल, निखिल गुप्ता, मुनीश कुमार, कुनाल राठौर, मयंक सक्सेना, राजेंद्र शाक्य, इरफान अंसारी, नितिन कश्यप, प्रयाग सिंह, ज्ञान गौरव साहू, सुनील कुमार, देशपाल सिंह, श्रीकांत सक्सेना, धर्मवीर कश्यप, सोनू सागर, आदि संस्था के सदस्य उपस्थित रहे।