Etah: Bhagwatacharya Pandit Ramnath Mishra passed away, a wave of mourning ran among the disciples
उत्तरप्रदेश के जनपद एटा के डाक बंगलियां निवासी प्रकांड विद्वान,भागवताचार्य पंडित रामनाथ मिश्र का स्वर्गवास हो गया उनके स्वर्गवास की खबर सुनकर उनके प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों में उनके हजारों शिष्यों में शोक की लहर दौड़ गई. 2 माह की अस्वस्थता के बाद वे हम सब को छोड़कर सदा के लिए स्वर्ग चले गए उनका एटा के भूतेश्वर मुक्ति धाम पर उनके ज्येष्ठ पुत्र शिवकुमार मिश्र ने अपने अनुज विष्णुकांत मिश्र के साथ सनातन विधि से उन्हें चाचा डा भूदेव मिश्र व उनके ज्येष्ठ पुत्र शिवकुमार मिश्र व अनुज पुत्र श्री विष्णुकांत मिश्र व भाई श्री भूदेवप्रसाद समधी श्री बनबरीलाल,श्री आर.बी.द्विवेदी वरिष्ठ पत्रकार, भतीजे श्री रामकुमार श्रीकृष्णकांत श्री प्रमोद पचौरी,श्री राजीव पचौरी श्री कमलेश मिश्रा श्री बृजेश श्री रवि, श्रीसतीशचंद्र,दामाद श्रीकृष्णकुमार श्री शीलेंद्र भारद्वाज श्री राधेश्याम, भांजे श्री राजवीर श्री सुभाष,श्रीविनोद,श्री सत्येंद्रसिंह,श्री श्यामसिंह, श्री मनोज, श्री बीनू,श्री मुकेश व श्री रमेश आचार्य व श्री नरेश अचार्य सहित सेकडो पड़ोसी स्वजन परिजन ब उनके शिष्य अंतिम संस्कार में मौजूद रह कर उन्हें मुखाग्नि दी। सभी ने मौन धारण कर दिवंगत आत्मा की शांति, सद्गति एवं ईश्वर प्राप्ति की प्रार्थना की, उन्होंने अपना भरा पूरा परिवार छोड़ा है, आपको अवगत करा दे कि उनके दो पुत्र है जो कि दोनों ही वरिष्ठ प्रशाशन अधिकारी रहे है, ज्येष्ठ पुत्र शिवकुमार मिश्र जो कि हाल ही में मध्य्प्रदेश के मुरैना जिले से एडीएम के पद से रिटायर्ड हुए है और उनके छोटे बेटे विष्णुकांत मिश्र वर्तमान में झाँसी जिले के DFO के पद पर तैनात है वही सूचना मिलते ही उनके कई शिष्य बंकापुर से आए फिर शिष्यों ने चादर अर्पित कर उनकी परिक्रमा की, आपको बता दें कि आपका जन्म 88 वर्ष पूर्व फिरोजाबाद जिले के फतेहपुर, एका थाने क्षेत्र में हुआ था,आपने सेवानिवृत्ति तक फफोतू एवं भरतोली एटा में शिक्षण कार्य किया।
धार्मिक एवं सत्संस्कारी प्रवृत्ति ने आपको विश्व प्रसिद्ध विभूतियों का सान्निध्य प्रदान कराया,आप श्री करपात्री जी महाराज के शिष्य पुरी के शंकराचार्य श्री निश्चलानंद जी के गुरु भाई एवं महामंडलेश्वर श्री रामदास जी महाराज दंदरौआ धाम,भिंड के अति प्रिय थे,ऐसी यशस्वी विभूति आज हम सब के मध्य नहीं है, किंतु उनकी अविस्मरणीय स्मृतियां धरोहर के रूप में हमेशा रहेगी, वही मध्यप्रदेश भोपाल के निर्दलीय प्रकाशन ,भोपाल द्वारा आपको राष्ट्रीय अहिंसा भूषण सम्मान प्रदान किया गया था।
13 वर्ष की आयु में आपके पिताश्री तीन पुत्र एवं दो बेटियों को छोड़कर ब्रह्मलीन हो गए थे,आपने दृढ़ प्रतिज्ञ होकर अपने समस्त भाई, बहनों का भरपूर भरण पोषण किया। 28 वर्ष की आयु में पत्नी वियोग की असहनीय वेदना को सहते हुए परिवार के कल्याणार्थ पुनः विवाह न कर अपने दोनों पुत्रों को उच्च शिक्षा और सत् संस्कार प्रदान कराने के लिए संत गृहस्थ के रूप में त्यागमय जीवन का संकल्प ले लिया और जनसेवा एवं सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए ईश्वर आराधना और परोपकार में संलग्न रहे। आपने अगणितबार श्रीमद् भागवत कथा का जन-जन को अमृत पान कराया लगभग 7000 वार उन्होंने व्यासपीठ से भागवत महा पुराण कथा का वाचन कर एक रिकॉर्ड भी कायम किया और उन्होंने हजारों शिष्य बनाये, उनकी सरस ,लालित्य पूर्ण भागवत कथा श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती थी ,जिसका आनंद वे ऐकांतिक क्षणों में अनुभव करते थे, वो एटा जिले के सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय के उपाध्यक्ष रहते हुए आप संस्कृत और संस्कृति के संवर्धन के लिए निरंतर प्रयासरत रहे ।आपने सर्वं खलु इदं ब्रह्म के श्रुति वाक्य को आत्मसात कर प्राणियों में ईश्वर अनुभूति का सदा अनुभव किया।