बदहाल सीएचसी की दशा बदलेंगे नगर के युवा सीएचसी की हालत पीएचसी से भी बदतर डीएम के आदेश पर उपजिलाधिकारी ने जाना व्यवस्थाओं का हाल

सिलहरी। बदायूँ जिले के नगर ककराला में लंबे समय से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मरीजो को सुबिधायें देने में सक्षम नही है।दिनों दिन इसकी हालात बदतर होती जा रही है।बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का जिम्मा नगर के युवाओं ने संभाला है। बीते दिनों कोविड टीकाकरण कराने पहुचे कुछ लोगो को सीएचसी पर ताला लटका मिला जिसको लेकर उन्होंने मामले की शिकायत जिलाधिकारी दीपा रंजन और सीएमओ से कर दी और वहां की हालत से अवगत कराया।जिलाधिकारी दीपा रंजन ने उनको इस गंभीर मामले को दिखवाने का भरोसा दिया।गुरुवार को उप जिलाधिकारी सदर सीएचसी पर पहुचे और ड्यूटी रजिस्टर,दवाओं का स्टॉक रजिस्टर,जेएसवाई रजिस्टर चेक किये साथ ही ड्यूटी से गायब कर्मचारियों के बारे में जानकारी ली।पहले की भांति उपजिलाधिकारी के आने की सूचना पहले ही स्टाफ को मिल गई और व्यवस्थाओं को बेहतर दिखाने का पूरा प्रयास किया गया लेकिन हकीकत ज्यादा देर तक छुपी नही रहे सकी।इससे पहले कोविड टीकाकरण की धीमी रफ्तार की समीक्षा करने पहुचे मुख्य विकास अधिकारी ऋषिदास ने भी अचानक नगर पालिका के सभासदों और पालिका चेयरमैन पति की शिकायत पर सीएचसी पहुच कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया था।उस समय भी बहुत सी खामियां मिली थी और उन्होंने स्टाफ को कड़ी फटकार लगाई थी।एक दबंग महिला कर्मचारी लापरवाह कर्मचारियों की खुल कर बकालत करती नजर आयी थी और इस बात को लेकर सभासदों और मीडियाकर्मियों से सीडीओ के सामने ही तीखी नोकझोक हुई थी।इस महिला कर्मचारी ने गायब स्टाफ की सीडीओ के रजिस्टर तलब करते ही सीएल लगा दी थी जिस पर सीडीओ ऋषिदास ने भी उसको खूब डांट लगाई थी।
लापरवाह स्टाफ इतने पर भी नही चेता तो नगर के कुछ युवाओं ने मामले की सूचना से उच्चस्तरीय अधिकारियों को अवगत करा दिया और उनके एक्शन लेने से हड़कंप मचा हुआ है।

विभागीय अधिकारियों की गुटबाजी ने डुबाई अस्पताल की लुटिया
उपजिलाधिकारी के निरीक्षण में अस्पताल के बदहाली की जो वजह निकल कर सामने आई है वह हैरान कर देने वाली है।किसी समय सभी सुविधाओं से सुसज्जित इस अस्पताल की यह दशा किसी नगरवासी की वजह से नही हुई है बल्कि विभागीय अधिकारियों की गुटबाजी की वजह से हुई है जो हालात सुधारने से ज्यादा जेबें भरने की नूरा कुश्ती में लगे रहते हैं।इसकी बदहाली के लिए म्याऊं पीएचसी से लेकर सीएमओ कार्यलय तक जिम्मेवार है।इस अस्पताल पर तैनात प्रभारी चिकित्साधिकारी भुवनेश कुमार ने बताया कि ककराला सीएचसी को वित्तीय अधिकार नही दिए गए हैं।यहां के कर्मचारियों का वेतन बिल म्याऊं पीएचसी से बनता है और उनकी उपस्थिति भी वहीं से भेजी जाती है साथ ही उनका रोस्टर भी म्याऊं से तय किया जाता है।सीएचसी पर होने वाली डिलीवरी की संख्या लगातार घट रही है जिसकी वजह से अक्सर मीटिंग में आल अधिकारियों के सामने अपराधियो की तरह खड़े होना पड़ता है।आशाओं की मीटिंग कई बार बुला चुके है लेकिन बीपीसीएम यहां मीटिंग रखना ही नही चाहते हैं।जिसकी वजह से आशाएं निष्क्रिय है और डिलीवरी कराने को प्रसूताओं को निजी अस्पतालों में लेकर चली जाती हैं।अगर यहां की सीएचसी को उपस्थिति दर्ज करने,वेतन बिल बनाने और रोस्टर लागू करने का अधिकार मिल जाये तो व्यवस्थाएं अपने आप पटरी पर आ जायेगी इस संबंध में बे कई बार आला अधिकारियों को लिख कर दे चुके हैं।

अगर सीएचसी की यह हालत है तो गंभीर मामला है सीएचसी पर ताला नही लगाया जा सकता।अगर ऐसा हुआ है तो कार्यवाही की जाएगी।इस मामले को गंभीरता से दिखवाया गया है अभी एसडीएम ने रिपोर्ट नही दी है।स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करके सीएचसी की बदहाल व्यवस्था को सही कराया जाएगा।सीएचसी को मिलने वाले वित्तीय अधिकार क्यो नही मिले हैं इसकी जानकारी कराई जा रही है-दीपा रंजन,जिलाधिकारी बदायूँ l

रिपोर्टर – राम तीरथ