Former minister Akilur Rahman Khan, a strong leader of BSP in district Sambhal, was expelled by the party.
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं. जैसे-जैसे चुनाव करीब आता जा रहा है, सियासी दल अपने-अपने कार्ड खेलने में जुट गए हैं. पहले जातीय समीकरण साधने के लिए सियासी दल अपने अपने अंदाज में काम कर रही है लेकिन इधर बीएसपी के पूर्व मंत्री अक़ीलुर्रहमन को पार्टी ने निष्काषित कर दिया दरअसल मुरादाबाद मंडल में वीर सिंह के बाद अगला निशाना बसपा के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान खां रहे। संगठन विरोधी गतिविधि में शामिल होने पर पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया है। पूर्व मंत्री ने कहा कि मैंने विपरीत परिस्थिति में सपा के गढ़ वाले जिले में पार्टी का झंडा बुलंद किया था। खुद विधायक रहा जबकि मेरी पत्नी तरन्नुम अकील सम्भल शहर से नगर पालिका चेयरमैन रही। बसपा ने मुझे निकालकर एक सच्चे सिपाही को निकाला है। वहीं, पत्नी तरन्नुम अकील ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। ओर उन्होंने भी त्याग पत्र दे दिया उन्होंने कहा कि जिस बसपा ने तीन दशक से पार्टी को मजबूत करने वाले उनके पति को सम्मान नहीं दिया तो मुझें क्या देगी।अक़ीलुर्रहमन का दावा है उनके साथ दलित अल्पसंख्यक है ओर साथ मे सभी लोगो का साथ ही वह 2022 का चुनाव लड़कर बीएसपी को हराकर हकीकत का आईना दिखा देंगे। ऐसे में अब लगभग तय हो चुका है कि वह किसी भी दूसरी पार्टी को जल्द ही दामन थाम सकते हैं। हालांकि,उनकी सपा में जाने की ज्यादा संभावना जताई जा रही है।
साथ ही कहा जो भी निर्णय बसपा सुप्रीमो ने लिया है वह स्वीकार है। एक बात तो तय है कि सम्भल में बसपा पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। जब मेरे जैसे सच्चे सिपाही के साथ पार्टी ने यह किया तो अन्य के साथ कुछ भी हो सकता है। हजारों दलित-मुस्लिमों साथियों से राय लेकर मैं अगली रणनीति जल्द ही बनाउंगा।
संभल से कपिल अग्रवाल की रिपोर्ट