बदायूँ।दुर्गा मंदिर निकट पुरानी चुंगी के प्रांगण में श्री गणेश जन्मोत्सव के उपलक्ष में सभी भक्तों के साथ तृतीय दिवस में गणेश जी की पूजा अर्चना की गई एवं दूर्वा घास से वनी माला पहनाकर बिशेष श्रंगार किया गया।
आचार्य त्रिलोक कृष्ण मुरारी ने बताया गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक कथा है, जो कि इस प्रकार है- एक पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था. उसके प्रकोप से धरती और स्वर्ग पर त्राहि-त्राहि मची थी. अनलासुर एक ऐसा दैत्य था, जो मुनि-ऋषियों और साधारण मनुष्यों को जीवित ही निगल जाता था. इस दैत्य के अत्याचारों से त्रस्त होकर
इंद्र समेत सभी देवी-देवता, ऋषि-मुनि भगवान शिव से प्रार्थना करने पहुंचे. उन्होंने कहा कि किसी भी तरह से अनलासुर के आतंक को समाप्त करें. तब महादेव ने समस्त देवी-देवताओं और मुनि-ऋषियों की प्रार्थना सुनकर उनसे कहा कि दैत्य अनलासुर का नाश केवल श्री गणेश ही कर सकते हैं. फिर सबकी प्रार्थना पर गणेश जी ने अनलासुर को निगल लिया, तब उनके पेट में बहुत जलन होने लगी. इस परेशानी से निपटने के लिए कई प्रकार के उपाय किए गए लेकिन उपाय कारगर नहीं हुआ. तब कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठें बनाकर श्री गणेश को खाने को दीं. इन दूर्वा को गणेश जी ने ग्रहण कर लिया, जिसके बाद उनके पेट की जलन शांत हो गई. ऐसा माना जाता है कि उसी समय से गणेश जी पर दूर्वा चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत हुई।
इस अवसर पूर्व सभासद पुष्पा देवी कश्यप ने बिधि विधान से पूजा अर्चना की एवं आरती कर बिश्व कल्याण के लिए श्री गणेश से प्रार्थना की। उन्होंने आयोजक समिति का भी आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर दुर्गा मंदिर प्रबंध समिति के सचिव पुनीत कुमार कश्यप एडवोकेट, योगेन्द्र सागर राजेंद्र शाक्य, दिनेश कुमार,उपेन्द्र कश्यप, अरबिन्द दिवाकर, शंकर लाल, सुनील कुमार, नितिन कश्यप, आदि भक्त जन उपस्थित रहे।