Eid will be celebrated in the country tomorrow, Eid-ul-Azha will have special prayers in Idgahs and major mosques
ईद के त्योहार को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. बता दे बकरीद के दिन को कुर्बानी के दिन के रूप में भी याद किया जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, कुर्बानी का त्योहार बकरीद रमजान के दो महीने बाद आता हैं. इस्लाम धर्म में बकरीद के दिन आमतौर पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है. इस दिन बकरे को अल्लाह के लिए कुर्बान कर दिया जाता हैं. इस धार्मिक प्रक्रिया को फर्ज-ए-कुर्बान कहा जाता है.
बकरीद मनाने का महत्व
इसके अनुसार, हजरत इब्राहिम को अल्लाह का बंदा माना जाता हैं, जिनकी इबादत पैगम्बर के तौर पर की जाती है. जिन्हें इस्लाम मानने वाले हर अनुयायी अल्लाह का दर्जा प्राप्त है. एक बार खुदा ने हजरत मुहम्मद साहब का इम्तिहान लेने के लिए आदेश दिया कि हजरत अपनी सबसे अजीज की कुर्बानी देंगे, तभी वे खुश होंगे. हजरत के लिए सबसे अजीज उनका बेटा हजरत इस्माइल था, जिसकी कुर्बानी के लिए वे तैयार हो गए.
इस साल 21 जुलाई को पूरे देश में बकरीद का पर्व मनाया जाएगा. ईदगाहों और प्रमुख मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज सुबह 6 बजे से लेकर 10.30 बजे तक अदा करने की तैयारी है. कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले साल लोगों को घर ही नमाज अदा करनी पड़ी थी, लेकिन इस बार लोगों को ईदगाहों और मस्जिदों में जमात के साथ नमाज अदा करने की उम्मीद है.
कुर्बानी पर भी गरीबों का रखते है खास ख्याल
दुनियाभर के मुसलमान ईद की तरह कुर्बानी पर भी गरीबों का खास ख्याल रखते हैं. कुर्बानी के सामान का तीन हिस्सा बांटकर एक हिस्सा गरीबों को दिया जाता है. दो हिस्सों में एक खुद के लिए और दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए रखा जाता है. मुसलमानों का विश्वास है कि पैगंबर इब्राहिम की कठिन परीक्षा ली गई. अल्लाह ने उनको अपने बेटे पैगम्बर इस्माइल की कुर्बानी देने को कहा. इब्राहिम आदेश का पालन करने को तैयार हो गए थे, लेकिन अल्लाह ने उनके हाथ को रोक दिया. उसके बजाए, उन्हें एक जानवर जैसे भेड़ या मेमना की कुर्बानी करने को कहा. इस तरह, पैगंबर इब्राहिम अल्लाह की तरफ से ली गई परीक्षा में सच्चे साबित हुए. यहूदी, ईसाई और मुस्लिम तीनों पैगंबर इब्राहिम, इस्माइल को अपना अवतार मानते हैं.