UP Board students are now worried about the roll number due to the previously canceled exam
UP Board की दसवीं और बारहवीं Class के नतीजे 25 जुलाई के करीब घोषित किये जाने की उम्मीद है. 56 लाख से ज़्यादा students का result जारी होने में अब सिर्फ हफ्ते भर का ही वक़्त बचा है, लेकिन ज़्यादातर छात्रों को अभी तक अपना रोल नंबर तक पता नहीं चल सका है. यूपी बोर्ड की वेबसाइट में आ रही दिक्कतों के चलते रोल नंबरों की लिस्ट अब स्कूलों को भी भेजे जाने का फैसला लिया गया है. जो स्टूडेंट बोर्ड की वेबसाइट से अपना रोल नंबर नहीं ढूंढ पा रहे हैं, वह अपने स्कूल से इस बारे में जानकारी ले सकते हैं. हालांकि ऑफिसियल वेबसाइट पर रोल नंबर ठीक तरीके से मुहैया न करा पाने की वजह से यूपी बोर्ड की जमकर किरकिरी भी हो रही है. सवाल यह उठ रहे हैं कि जब रोल नंबर मुहैया कराने में बोर्ड की ऑफिसियल वेबसाइट दगा दे जा रही है तो हफ्ते भर बाद
रिजल्ट जारी होने पर 56 लाख से ज़्यादा स्टूडेंट्स अपनी मार्कशीट इस पर कैसे देख पाएंगे.
वैसे backfoot पर आए U.P Board के ज़िम्मेदार अफसरान इस बारे में गोल-मोल जवाब देकर अपना बचाव करने में लगे हैं. बोर्ड के अफसरों का कहना है कि वेबसाइट पर रोल नंबर पहली बार जारी किया गया था, इसलिए overload होने की वजह से यह ठीक से काम नहीं कर रही थी और students को दिक्कतें हो रही थीं. इसी दिक्कत को देखते हुए रोल numbers की लिस्ट अब स्कूलों को सीधे अलग से भेजे जाने का फैसला किया गया है. जो student web site के ज़रिये रोल नंबर नहीं देख पा रहे हैं, वह स्कूल से संपर्क कर इसे जान सकते हैं. वैसे स्कूलों तक LIST मुहैया कराने और Roll Number की जानकारी सभी छात्रों तक पहुंचाने का काम भी इतना आसान नहीं है, क्योंकि स्टूडेंट्स की संख्या 56 लाख से ज़्यादा है.
गौरतलब है कि CORONA की महामारी के चलते U.P Board ने इस साल दसवीं और बारहवीं के इम्तहान रद्द कर दिए थे और छात्रों को पुराने रिजल्ट के आधार पर नंबर देकर उन्हें पास करने का फैसला लिया था
result को लेकर उल्टी गिनती भले ही शुरू हो गई हो, लेकिन students से लेकर उनके पैरेंट्स और टीचर्स को नतीजों का अब बेसब्री से इंतजार है. ज़्यादातर students का कहना है कि उन्होंने इस बार की लिखित परीक्षा को लेकर काफी तैयारी की थी और उन्हें काफी बेहतर नम्बर्स मिलने की उम्मीद थी, लेकिन CORONA ने उनकी पूरी तैयारियों पर पानी फेर दिया. हालांकि यह सभी ये ज़रूर मानते हैं कि महामारी के मुश्किल वक़्त में इम्तहान से ज़्यादा ज़रूरी जीवन बचाना था. स्टूडेंट्स का कहना है कि अगर वह अपने मार्क्स से संतुष्ट नहीं हुए तो Improvement इम्तहान देंगे