भिवाड़ी। किसी भी औद्योगिक नगरी की पहचान सिर्फ उसकी फैक्ट्रियों और उत्पादन से नहीं होती, बल्कि उस सोच से होती है जो वहां के उद्योगपतियों को दिशा देती है। भिवाड़ी मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (BMA) के मानद सचिव पद पर गिरधारी लाल स्वामी का लगातार दूसरा कार्यकाल इसी सोच का प्रतीक है। यह सिर्फ एक पद पर वापसी नहीं, बल्कि उद्योग जगत का यह ऐलान है कि उन्हें ऐसा नेतृत्व चाहिए जो संघर्ष से न घबराए और समाधान तक पहुँचे।
स्वामी ने अपने पहले कार्यकाल में यह साबित कर दिया कि सचिव केवल मीटिंग और प्रस्तावों तक सीमित पद नहीं है, बल्कि यह उद्योग और प्रशासन के बीच सेतु का असली चेहरा है। बिजली, पानी, सड़क और प्रदूषण जैसे ज्वलंत मुद्दों पर उनकी सक्रियता ने यह भरोसा दिलाया कि भिवाड़ी सिर्फ “समस्या केंद्र” नहीं, बल्कि “समाधान की भूमि” भी बन सकती है।
उद्योगपतियों के लिए स्वामी का दोबारा निर्वाचित होना एक तरह से “उद्योग जगत का आत्मविश्वास” है। उनकी अगुवाई में BMA ने न सिर्फ अपने सदस्यों की संख्या बढ़ाई, बल्कि नए निवेशकों को यह संदेश भी दिया कि भिवाड़ी में अब नेतृत्व ऐसा है जो हर परिस्थिति में साथ खड़ा रहेगा।
गौर करने वाली बात यह भी है कि स्वामी ने उद्योग से बाहर कदम रखकर शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में CSR गतिविधियों को आगे बढ़ाया। इससे यह साफ हुआ कि वे केवल “कारखाने की दीवारों” तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के लिए भी उतने ही समर्पित हैं।
आज जब भिवाड़ी निवेश के नए अध्याय की ओर बढ़ रहा है, तो गिरधारी लाल स्वामी का दूसरा कार्यकाल उद्योग जगत के लिए उम्मीद और स्थिरता का नया पैगाम है। यह कार्यकाल तय करेगा कि भिवाड़ी आने वाले वर्षों में राजस्थान ही नहीं, पूरे देश के औद्योगिक नक्शे पर किस ऊँचाई पर खड़ा होगा।
