
IPS अनुराग आर्य: ईमानदारी, कड़क मिजाज और जनप्रिय छवि से बने पुलिस विभाग के लिए मिसाल..
बरेली, 21 सितम्बर 2025।
“ऐसे ही कोई आईपीएस अनुराग आर्य नहीं बन जाता…” — यह बात उन तमाम लोगों की जुबान पर है, जो उन्हें नजदीक से जानते हैं। गुंडे-माफियाओं के लिए खौफ का नाम और आम जनता के लिए उम्मीद की किरण बने IPS अनुराग आर्य ने अपनी कड़ी मेहनत, तपस्या और ईमानदारी से पुलिस सेवा में एक अलग पहचान बनाई है।

मुख्तार अंसारी के साम्राज्य को मिलाया था मिट्टी में..
उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी भले ही सुपुर्दें खाक हो गया हो, लेकिन उसकी चर्चा अभी बंद नहीं हुई है। मुख्तार अंसारी की प्रदेश में फैली अपराध की जड़ों को काटने वाले युवा आईपीएस अधिकारी अनुराग आर्य आज भी चर्चा में है। मुख्तार अंसारी के काले धंधे पर अंकुश लगाने के लिए इनका नाम खूब चर्चा में रहा है। जब मुख्तार अंसारी की प्रदेश में तूती बोलती थी, तब आईपीएस अनुराग आर्य ने मऊ जनपद की कमान 2019 से 20 में संभाली। मऊ जनपद सहित पूर्वांचल के कई जिलों में मुख्तार अंसारी ने अपराध की वो जड़े फैला रखी थी, जिसे काटना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था।

मऊ जनपद में अवैध बूचड़खानों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए कुल 26 लोगों पर लगाया थ गैंगस्टर एक्ट
तब मऊ जनपद में अवैध बूचड़खानों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए कुल 26 लोगों पर गैंगस्टर एक्ट में कारवाई की थी। इसी क्रम में सरकार ने भरोसा दिखाते हुए मऊ जनपद के बाद फिर पूर्वांचल के सबसे बड़े जिले आजमगढ़ की कमान भी आईपीएस अनुराग आर्य को सौंप दी। बताया जाता है, जिस तरह गाजीपुर, मऊ, जौनपुर अन्य जगहों पर मुख्तार अंसारी का गैंग एक्टिव था, उसी तरह आजमगढ़ में भी उसने काफी वर्चस्व बना रखा था। अपने काले धंधों को वहीं से संचालित करता था।

अनुराग आर्य के जीवन के संघर्ष की कहानी..
अनुराग आर्य यूपी के बागपत जिले के छपरौली के रहने वाले हैं. अनुराग के माता-पिता दोनों डॉक्टर हैं. उनकी पत्नी वनिका भी पीसीएस अफसर हैं. अनुराग की शुरुआती शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई. अनुराग आर्य ने स्कूल से अच्छे संस्कार सीखे लेकिन इंग्लिश बोलने में उनको हिचकिचाहट होती थी. वह महसूस करते थे कि शहरी बच्चों की तुलना में अंग्रेजी न आने के चलते गांव के बच्चे पिछड़ जाते हैं. लेकिन अनुराग आर्य ने अपनी कमजोरी को ही ताकत में बदल दिया.

देहरादून के इंडियन मिलिट्री स्कूल से की पढ़ाई
साल 2008 में अनुराग आर्य पढ़ाई के लिए देहरादून के इंडियन मिलिट्री स्कूल पहुंचे. शुरू में यहां के माहौल में तालमेल बिठाने में उनको जरूर समय लगा लेकिन वक्त के साथ उन्होंने अंग्रेजी और माहौल दोनों को अपने पक्ष में कर लिया. अनुराग को बचपन से ही खेलों में खास रुचि थी. IMS में भी उन्होंने घुड़सवारी, राफ्टिंग जैसे खेलों में कई मेडल जीते. उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया.

टर्निंग पाइंट रहा साल 2011
अनुराग आर्य के लिए 2011 का साल टर्निंग पाइंट साबित हुआ. इस साल एमएससी की पढ़ाई के लिए वह दिल्ली के हिंदू कॉलेज गए. लेकिन फाइनल में वह दो सब्जेक्ट में फेल हो गए. इसका अनुराग पर बड़ा प्रभाव पड़ा. उन्होंने एमएससी की पढ़ाई छोड़ दी. समय लेकर सोचा फिर आईपीएस बनने की ठान ली. उन्होंने साबित कर दिया कि आप किसी फील्ड में फेल हो जाते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आप असफल हैं. दूसरी फील्ड में आपके पास बेहतर करने का मौका है.

पहले ही प्रयास में बने आईपीएस
अनुराग आर्य पहले ही प्रयास में साल 2013 में आईपीएस बन गए. उनकी रैंक 163 थी. हैदराबाद की नेशनल पुलिस एकेडमी में एक साल की ट्रेनिंग के बाद उनकी अंडर ट्रेनिंग पोस्टिंग गाजियाबाद में हुई. शुरुआती समय में ही उनकी तैनाती बतौर एसपी पांच जिलों में रही. इसमें अमेठी, बलरामपुर, मऊ और प्रतापगढ़ आजमगढ़ शामिल है. वर्तमान में वह बरेली में बतौर एसएसपी के पद पर तैनात हैं.