केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने दिए निर्देश – उपचारित जल का होगा पुनः औद्योगिक उपयोग
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री द्वारा केंद्रीय उच्च स्तरीय बैठकों के पश्चात भिवाड़ी में ली विभिन्न विभागों एवं उद्योगपतियों की बैठक

खैरथल-तिजारा, 19 सितंबर। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री एवं अलवर सांसद भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में शुक्रवार को रिको गेस्ट हाउस सभागार, भिवाड़ी में उद्योगपतियों एवं विभिन्न विभागों के अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में भिवाड़ी जलभराव की समस्या के निस्तारण को लेकर व्यापक चर्चा हुई। इस दौरान मंत्री ने उद्योगपतियों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग करते हुए अपशिष्ट जल प्रबंधन एवं उपचार की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करने पर बल दिया। इससे पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने केंद्र एवं राज्य स्तर पर उच्च स्तरीय बैठक भी ली, जिसमें भिवाड़ी जलभराव समाधान के संबंध में व्यापक चर्चा की गई।

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने औद्योगिक क्षेत्रों में अपशिष्ट जल प्रबंधन को लेकर आयोजित बैठक में सीईटीपी (सेंट्रल इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) की प्रभावी मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाइयों के उत्पादन के अनुरूप एफ्लूएंट जल की सघन मॉनिटरिंग की जाए और किसी भी परिस्थिति में उपचारित किए बिना अपशिष्ट जल को खुली नालियों में नहीं छोड़ा जाए। उन्होंने उद्योगपतियों को उनके दायित्वों से अवगत कराते हुए सीईटीपी के माध्यम से ही जल का शोधन सुनिश्चित करने पर जोर दिया।

बैठक में विशेषज्ञों ने भिवाड़ी जलभराव की समस्या के निस्तारण हेतु प्रस्तावित डीपीआर पर विस्तार से जानकारी दी। इसमें भिवाड़ी क्षेत्र के घरेलू जल, औद्योगिक अपशिष्ट जल और वर्षा जल का पृथक्करण कर उपचारित जल को औद्योगिक इकाइयों को पुनः उपयोग हेतु उपलब्ध कराने का प्रस्ताव शामिल है।
उन्होंने बताया कि औद्योगिक इकाइयों के दूषित जल उपचार हेतु 6 एमएलडी क्षमता की सीईटीपी पहले से स्थापित है, जबकि 34 एमएलडी क्षमता का एसटीपी निर्माणाधीन है। इसे एडिशनल और टर्शरी ट्रीटमेंट तकनीक से आधुनिक बनाकर औद्योगिक इकाइयों के पैरामीटर के आधार पर पानी उपलब्ध कराया जाएगा, जिसका उपयोग औद्योगिक इकाइयों में पुनः किया जा सके।

केंद्रीय मंत्री ने औद्योगिक इकाइयों को अपने जल उपयोग के पैरामीटर साझा करने के निर्देश दिए ताकि एसटीपी को अपग्रेड कर गुणवत्ता के अनुरूप पानी सप्लाई किया जा सके। बैठक में बताया गया कि भिवाड़ी एवं चौपानकी औद्योगिक क्षेत्रों में लगभग 10.2 एमएलडी पानी का उपयोग हो रहा है। आगामी योजना के तहत एसटीपी से उपचारित जल को औद्योगिक इकाइयों को उपलब्ध कराने के साथ-साथ शेष जल को कृत्रिम झील और सारेखुर्द बांध तक पहुँचाया जाएगा।
बैठक के दौरान नागपुर, चंद्रपुर, भुसावल, नासिक और बेंगलुरु जैसे शहरों में वर्षों से सफलतापूर्वक लागू किए जा रहे ऐसे प्रोजेक्ट्स का भी उल्लेख किया गया, जहाँ उपचारित जल का औद्योगिक उपयोग हो रहा है।

बैठक में तिजारा विधायक महंत बालक नाथ योगी ने चौपानकी, खुशखेड़ा एवं कहरानी औद्योगिक क्षेत्रों में एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) के गठन तथा सीईटीपी (सेंट्रल इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) के निर्माण कार्य कि दिशा में तेजी लाने पर जोर दिया। इस पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए अधिकारियों एवं उद्योगपतियों को निर्देश दिए कि वे शीघ्र एसपीवी का गठन कर सीईटीपी की प्रक्रिया को त्वरित गति से आगे बढ़ाएं, ताकि अपशिष्ट जल प्रबंधन की समस्या का स्थायी समाधान सुनिश्चित किया जा सके।

बैठक के दौरान जिला प्रमुख बलबीर छिल्लर, जिला कलेक्टर किशोर कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अतुल प्रकाश, जिला अध्यक्ष महासिंह चौधरी, अतिरिक्त जिला कलेक्टर सुमित्रा मिश्र, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, वॉटर रिसोर्सेस डिपार्मेंट, ग्राउंडवाटर विभाग के अधिकारियों सहित विभिन्न औद्योगिक इकाई संगठन के पदाधिकारी एवं उद्योगपति मौजूद रहे।