बदायूँ। गंगा में आई बाढ़ से किसानों की मुश्किलें बड़ गई हैं। फसलें बर्वाद हो गई हैं। किसानों के घर भी बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। बाढ़ पीड़ित लोग रहने के लिए अस्थाई व्यवस्था कर रहे हैं।
गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कछला के पश्चिम में गांव हुसैनपुर खेड़ा और खंगार नगला के समीपवर्ती बाढ़ क्षेत्र का नाव से दौरा किया। किसानों को धैर्य बंधाया। उन्होंने कहा बाढ़, भूकंप, तूफानों जैसी प्राकृतिक आपदाएं कभी कहकर नहीं आती हैं। स्वयं के तैयार रखना पड़ता है। हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। हम फिर से नये उत्साह के साथ चुनौति का सामना करने के लिए तैयार रहें।
गंगा के तेज बहाव से किसानों की फसलें बर्वाद हो चुकीं हैं। जलमग्न इलाके में किसान भी नहीं जा रहे। नाव द्वारा किसानों ने अपने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा कराया। एक टापू पर जरूर किसान शिवाला की थोड़ी सी बची फसल काटने के लिए नाव से पहुंचे और नाव से ही लेकर आए। खेतों में रखवाली के लिए बनी झोपड़ियों में रखा सामान भी किसान अपने घर नहीं ला सके। पहाड़ी या मैदानी क्षेत्र में अधिक बरसात हुई, तो फिर बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है।
बाढ़ ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। किसानों ने बेटे-बेटियों की पढ़ाने, लिखाने और शादी आदि करने के लिए खेती में खूब मेहनत की लेकिन उनकी मेहनत का फल नहीं मिला। गंगा किनारे पट्टे की भूमि पर खेती कर किसान कर्ज में डूब गए हैं। किसानों ने हजारों रूपया देकर पट्टे की भूमि खेती के लिए ली थी। खेती में पूरी लागत और मजदूरी लगा दी। गंगा में आई बाढ़ ने तैयार फसलों को बर्वाद कर दिया। किसान कर्ज चुकानें को लेकर चिंतित हैं। कर्ज लेकर खेती की और कर्जदार हो गए। जैसे तैसे किसान दो वक्त की रोटी जुटा पा रहे हैं। परेशान किसान सरकार की मद्द के इंतजार में हैं।
गंगा दशहरा पर आई बाढ़ ने किसानों को संभलने का मौका ही नहीं दिया। किसानों के इंजन, हल, खेती के उपकरण और खेतों में फसलों की रखवाली के लिए बनाई गई अस्थाई झोपड़ियों में रखे दरी, चादर, बर्तन भी अपने घरों को नहीं ले जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा में जल का स्तर बढ़ने लगा। गंगा स्नान को जाने वाले श्रद्धालु लाॅकडाउन की बजह से कछला गंगा तट पर नहीं गए। हुसैनपुर खेड़ा, खंगार नगला और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के श्रद्धालु अपने गांवों के समीप ही गंगा स्नान को सुबह ही गंगा किनारें बैलगाड़ियों, मोटर साइकिलों और पैदल पहुंच गए। श्रद्धालुओं ने सावधानी के साथ स्नान किया। गंगा मईया को प्रसाद चढ़ाया। दीप प्रज्ज्वलित कर गंगा में प्रवाहित किए। दस बजे के लगभग श्रद्धालुओं को गंगा की मुख्य धारा में जल बढ़ने का आभास होने लगा। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान में शीघ्रता दिखाई और अपने घरों को वापस होने लगे। गंगा बांध तक श्रद्धालु पहंुच ही पाए। गंगा का जल चारों तरफ फैलने लगा। कुछ श्रद्धालुओं की मोटर साइकिलें गंगा स्नान के बाद आते समय रास्ते में फंस गई। ग्रामीणों की सहायता से निकाला गया। देखते ही देखते दोपहर तक आसपास का सारा क्षेत्र जलमग्न हो गया। किसान भी अपने खेतों को देखने दोबारा नहीं जा सके। खेतों पर रखे इंजन, कृषि उपकरण, कपड़े, बर्तन सब गंगा की धारा में बहे चले गए। किसानों की गन्ने, शिवाला, अरबी, गुआर के साथ अन्य फसलें भी गंगा के तेज बहाव में बर्वाद हो गई हैं। अब जल का स्तर कम होने लगा है। लेकिन का जो नुकसान होना था वह हो गया।