बदायूं। जिला महिला अस्पताल में खून की दलाली धड़ल्ले से चल रही है। सूत्रों के अनुसार दलालों को पता चल जाता है किन रोगियों को ब्लड की जरूरत है। ऐसे लोगों को गुमराह कर एक यूनिट खून के बदले छह से सात हजार रुपये वसूलते हैं। इनका धंधा सरकारी ब्लड बैंकों में खून की कमी से फल-फूल रहा है। यह निजी ब्लड बैंक से लेकर अस्पताल के कर्मचारियों में हिस्सा बंट जाता है। महिला अस्पताल के कर्मचारियों की मिलीभगत से खून की दलाली का खेल धड़ल्ले से चल रहा है।

महिला अस्पताल के लेबर रूम में भर्ती प्रसूता माधुरी पत्नी पंकज धर्मपुर कलान शाहजहांपुर, दूसरी प्रसूता
यासमीन पत्नी दिलदार खान ग्राम ईकरी वसयानी के लिए 2 सितंबर को ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने सरकारी ब्लड बैंक के लिए ब्लड का एडवाइस किया था
तीसरी प्रसूता मधुबाला पत्नी राजकुमार ग्राम माहोरा, चौथी प्रसूता तस्कीन पत्नी मुंतजार ग्राम बसेला के लिए 8 सितंबर को चिकित्सक ने सरकारी ब्लड बैंक के लिए फॉर्म भरकर एडवाइस किया है। अस्पताल के

कर्मचारियों की साठगांठ के चलते निजी ब्लड बैंक से ब्लड खरीदा गया। कर्मचारियों की दलाली के चलते निजी ब्लड बैंक से ब्लड खरीदा जा रहा है।जबकि फॉर्म में चिकित्सक के द्वारा सरकारी ब्लड बैंक के लिए वेरिफाई किया गया है। जबकि प्रसूताओं को ब्लड चिकित्सक की देखरेख में चढ़ाया जाता है मगर प्रसूताओं को ब्लड चढ़ते समय चिकित्सक मौजूद नहीं रहते है। जो नियम विरुद्ध है।

कैसे होती है ब्लड की दलाली…..

किस प्रसूता को खून की जरूरत है और कौन अच्छा पैसा दे सकता है। इसकी जानकारी कर्मचारियों को हो जाती है, क्योंकि कर्मचारी उनके सूत्र होते हैं। वे प्रसूताओं के तीमारदार को पकड़ लेते हैं। छह-सात हजार रुपये में एक यूनिट खून का सौदा तय होता है। यह निजी ब्लड बैंक से लेकर लेबर रूम कर्मचारियों में हिस्सा बंट जाता है। इस मामले को लेकर जिम्मेदार स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रहे है।

सूत्रों ने बताया कि इस धंधे में शामिल रक्तदाता का नाम रजिस्टर में चढ़ाया ही नहीं जाता। उनका ब्लड निकाल दिया जाता है, उसे सुरक्षित कर तीमारदार को जरूरी ब्लड दे दिया जाता है। स्टोर में ब्लड यूनिट बराबर रहती है, इसलिए किसी को संदेह नहीं होता।
रक्तदाता को करने होते हैं ये काम…..

रक्तदाता को पहले फार्म भरवाया जाता है। उसमें नाम, मोबाइल फोन नंबर, पता, क्यों खून देना चाहते हैं, किसके लिए देना चाहते हैं ब्लड डोनेटर का मरीज से रिश्ता क्या है का विवरण होता है। उनके रक्तचाप, वजन, एचआईवी पॉजिटिव,हीमोग्लोबिन की जांच की जाती है। सब सही पाया जाता है तो ब्लड डोनेट कराया जाता है, लेकिन धंधे में शामिल लोगों को न तो फार्म भरवाया जाता है और न ही उनकी यह जांचें कराई जाती हैं।

इनके लिए मिलता है ब्लड निःशुल्क…….

सरकारी ब्लड बैंकों में निःशुल्क खून उपलब्ध कराया जाता है। बस खून के बदले खून लिया जाता है। उससे

कोई प्रक्रिया शुल्क नहीं लिया जाता। एड्स पीड़ित, थैलीसीमिया, कैंसर, हीमोफीलिया पीड़ित, लावारिस, कैदी, डायलिसिस के लिए व गर्भवती को बिना रक्तदाता लाए भी खून दिया जाता है।
जिला महिला अस्पताल सीएमएस डॉक्टर शोभा अग्रवाल ने बताया वह तो मरीज की मर्जी है कहीं से भी ब्लड ला सकता है।

निजी ब्लड बैंक नियम का कर रहे फॉलो…..

एक साल के अंदर रैबीज का इंजेक्शन लगा न लगा हो
एक से दो साल के अंदर टीबी नहीं हुई हो
एक साल पहले टाइफायड नहीं हुआ हो
एंटीबायोटिक दवा तो नहीं चल रही है
कैंसर की दवा तो नहीं चल रही है
डोनेटर 48 घंटे के अंदर शराब पिया हो
वजन 48 किलो से कम हो
हीमोग्लोबिन 12.5 ग्राम से कम हो
उम्र 18 वर्ष से कम या 65 वर्ष से ज्यादा हो
किसी बड़ी बीमारी से ग्रसित हों

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