बदायूं।सहसवान में उपाध्याय पैथोलॉजी लैब अकबराबाद टेंपो स्टैंड हरदत्तपुर रोड , दयाल पैथॉलाजी सेंटर सीबीआई बैंक रोड़ सहसवान,में संचालित हो रहे है संचालक बिना विभागीय अनुमति के पैथोलॉजी लैब का संचालन कर रहे हैं जहां जांच के नाम पर मरीजों को टाइफाइड बुखार का खौफ दिखाकर मनमाने रुपए वसूल कर रहे है। हर गली-मोहल्ले में पैथोलॉजी सेंटर का

बोर्ड लगा दिख जाता है। यहां ब्लड सैंपल लेने वाले ज्यादातर अप्रशिक्षित टेक्नीशियन हैं। इनकी जरा सी चूक ब्लड जांच रिपोर्ट का परिणाम बदल देती है। पैथोलॉजी सेंटरों की जांच के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय की ओर से टीम बनाई गई है, लेकिन टीम ने जनवरी से अब तक किसी भी पैथोलॉजी सेंटर के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। जबकि एक जुलाई से संचारी रोग नियंत्रण अभियान शुरू होने वाला है।

चिकित्सक बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कुमार वासु की राय—-

इलाज में जांच रिपोर्ट की अहम भूमिका होती है। लक्षण के आधार पर रक्त, यूरिन सहित अन्य जांच कराई जाती है। पैथोलॉजी की जांच रिपोर्ट से इलाज को दिशा मिलती है। उसके आधार पर दवाएं चलाई जाती हैं, लेकिन अचानक लक्षण के विपरीत जांच रिपोर्ट आ जाए तो दोबारा जांच कराना मजबूरी हो जाती है। पैथोलॉजी जांच रिपोर्ट के अलग-अलग होने के केस अक्सर आते हैं। ऐसे में बाहर के बजाय महिला अस्पताल की पैथोलॉजी की रिपोर्ट के आधार पर ही मरीजों को दवाएं देते हैं।


कस्बा सहसवान में उर्मिला नाम के मरीज ने दयाल पैथॉलाजी सेंटर से 27 जून को खून कि जांच कराई तो उसकी रिपोर्ट में हीमोग्लोबिन 10.9 और टीएलसी 9900 दर्शाई गई है वहीं उपाध्याय पैथोलॉजी लैब में 28 जून को रिपीट खून की जांच कराई गई तो हीमोग्लोबिन 9.7 और टीएलसी 18000 दर्शाई गई है दोनों लैब की जांच रिपोर्ट में बड़ी भिन्नता पाई गई है।
जबकि इन पैथोलॉजी लैब संचालकों के पास न तो विभागीय अनुमति है और न ही यहां जांच के लिए प्रशिक्षित कर्मचारी ही मौजूद हैं। नियमानुसार पैथोलॉजी संचालन के लिए स्वास्थ्य विभाग की अनुमति तथा प्रशिक्षित लैब टेक्नीशियन व सुविधाएं होना आवश्यक है। यहां नियम कायदों को ताक पर रखकर लैब संचालित हो रही है। इसके बाद भी मरीज को सही रिपोर्ट मिल सकेगी इसकी कोई गांरटी नहीं है। सहसवान में पैथोलॉजी लैब में कराए गए परीक्षण की रिपोर्ट में भिन्नता पाई जा रही है। गौरतलब है कि रोगी की जांच के बाद लैब रिपोर्ट के अनुसार ही चिकित्सा शुरू कर दवाइयां आदि दी जाती है। ऐसे में जांच रिपोर्ट महत्वपूर्ण होती है। गलत जांच रिपोर्ट होने से मरीज की जान को खतरा भी हो सकता है।

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