बदायूं। शहर में बालजीवन हॉस्पिटल चामुण्डा चौराहे पर बिना पंजीकरण के धड़ल्ले से संचालित हो रहा है। हॉस्पिटल प्रबंधक ने बोर्ड पर डॉ जावेद बच्चों का अस्पताल लिखवा रखा है जिसके पास चिकित्सा संबंधित कोई डिग्री नहीं है दूसरे डॉ आकाश गुप्ता एमबीबीएस के नाम का बोर्ड लगा हुआ है वह अस्पताल में नहीं बैठते है। अस्पताल प्रबंधक फर्जी तरीके से जनता को गुमराह कर रहा है इनके पास न तो प्रशिक्षित डॉक्टर हैं और न ही स्वास्थ्य कर्मी स्टॉफ है उसके बावजूद भी बुखार से लेकर बच्चों के एसएनसीयू तक का जिम्मा उठाकर मरीजों की जान जोखिम में डालने से नहीं चूक रहे हैं। इनके पास न तो बच्चों के अस्पताल का पंजीकरण है न ही फायर एनओसी है ऐसा भी नहीं कि इन अस्पतालों के बारे में विभाग अनभिज्ञ हैं। फिर भी स्वास्थ्य विभाग इसको लेकर अनभिज्ञ बना हुआ है। क्योंकि की इनके बरदहस्त व मेहरबानी के बिना कुछ भी संभव नहीं है। यूं तो जिले में करीब सौ अस्पताल, पैथालाजी सेंटर पंजीकृत हैं। लेकिन इसके अलावा गांव से लेकर शहर तक कुकुरमुत्ते की तरह गली-गली में निजी अस्पताल, पैथालाजी सेंटर व डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित हो रहे हैं और तो और कई ऐसे भी हैं, जो आगे मेडिकल की दुकान चला रहे हैं और पीछे दो कमरों में

पूरा नर्सिंग होम संचालित कर रहे हैं। इन अस्पतालों में कोई डिग्री धारक चिकित्सक भी नहीं है। लेकिन हर तरह के मरीजों को भर्ती कर उनका आर्थिक शोषण के अलावा जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन अस्पतालों पर अक्सर मौत चिकित्सकों की लापरवाही से होने की बात को लेकर विवाद होता है, लेकिन धीरे-धीरे मामला ठंडा हो जाता है। सदर में कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है।शिकायत पर कुछ क्लीनिक व लैब पर कार्रवाई तो की जाती है, लेकिन विभागीय स्तर से इसकी जांच नहीं की जाती है।

जिले में कही मेडिकल के नाम पर क्लीनिक, तो कही बिना पंजीकरण के अस्पताल संचालित हो रहे हैं। कई ऐसे भी हैं जो कार्रवाई होने के बाद नाम बदलकर लैब क्लीनिक और अस्पताल का संचालन कर रहे हैं। जिम्मेदार अनजान बने हैं। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है।
सीएमओ डॉ रामेश्वर मिश्रा ने बताया कि बिना पंजीकरण शहर में बच्चों का अस्पताल संचालित हो रहा है तो वह गलत है। अगर बिना पंजीकरण अस्पताल संचालित पाया जाता है तो उस पर जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

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