बदायूं। पैथोलॉजी में जांच कराई गई तो पता चला कि यहां जमकर फर्जीवाड़े का बड़ा खेल चल रहा हैं जनपद में फर्जी पैथोलॉजी लैबों के जरिए गलत रिपोर्ट देकर मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। जबकि खून जांच के लिए चंद पैथोलॉजी पंजीकरण हैं लेकिन खास बात ये है कि कुछ जगह कलेक्शन सेंटर भी लैब की तरह काम कर रहे हैं।
बिसौली कस्बे में धुबिया तालाब बुध बाजार रोड़ स्थित मां पैथ लैब पर मलेरिया की किट में नेगेटिव जांच दिख रहा है जबकि रिपोर्ट में लैब संचालक के द्वारा पॉजिटिव दिखा दिया है आठवां पास लैब का संचालन कर रहे हैं जिन पर पैथोलॉजी संबंधी कोई डिग्री नहीं है कस्बे और देहात क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह लैब का संचालन हो रहा है और लैब संचालक मरीजों से धन-लुटाई कर रहे हैं यह खेल झोलाछाप डॉक्टर के इशारे पर चल रहा है और मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं जिससे झोलाछाप की अच्छी खासी कमाई हो रही हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी योगेश सारस्वत के संज्ञान में आते ही मां पैथ लैब संचालक के लिए फोन पर चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसी रिपोर्ट आगे मिली तो एफआईआर कर पैथोलॉजी लैब के लिए सील कर दिया जाएगा।

सस्ती ब्लड जांचें मरीजों को पड़ रही महंगी

कस्बे में मरीजों के खून की जांच सस्ते में करने का दावा किया जा रहा है। बिना पंजीकरण के संचालित लैब या कलेक्शन सेंटर पर की जा रही सस्ती जांचें कहीं मरीजों को महंगी न पड़ जाए? सीएमओ से ऐसी लैबों की जांच करने के लिए कई लोगों ने शिकायत भी की हैं। स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत होने के कारण ऐसी लैबों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। बताया जा रहा हैं कि जनपद में पैथोलॉजी लैब के लिए क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट ऐक्ट के तहत पंजीकरण हो आवश्यक हैं।


लैब में कार्यरत डॉक्टर का उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल और टेक्नीशियनों का उत्तर प्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य है। पर राज्य में बड़ी संख्या में पैथोलॉजी लैब और ब्लड कलेक्शन सेंटर ऐसे हैं जहां मानकों का पालन नहीं हो रहा। न तो उनका ऐक्ट में पंजीकरण है और न ही वहां कार्यरत डॉक्टरों और टेक्नीशियनों का वैध पंजीकरण है। ऐसे में इन लैबों और कलेक्शन सेंटरों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

एक डॉक्टर के साइन से कई की रिपोर्ट तैयार हो रही हैं।

उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल ने नियम बनाया है कि राज्य का कोई भी पैथोलॉजिस्ट दो से अधिक लैब की रिपोर्ट साइन नहीं कर सकता। लेकिन इसमें भी बड़ा घालमेल चल रहा है। एक ही डॉक्टर के डिजिटल साइन से कई लैब की रिपोर्ट साइन हो रही है। काउंसिल की ओर से इस संदर्भ में नियम तो बनाए गए हैं लेकिन सख्ती न होने की वजह से मनमानी पर लगाम लगना संभव नहीं है।

सस्ते के लालच में फंस रहे मरीज
सीएमओ ऑफिस में बिना पंजीकरण के संचालित इन लैब में मरीजों को चालीस से पचास प्रतिशत तक को डिस्काउंट दिया जा रहा है। मरीज सस्ते के लालच में यहां जांच करा रहे हैं। लेकिन रिपोर्ट सही है या गलत, इसका अंदाजा लगा पाना बेहद मुश्किल है। फिर भी स्वास्थ्य विभाग इन लैबों पर कार्रवाई नहीं कर पा रहा हैं।