पटाखे जलाने की खुशी, सांसे कर रही कम: संजीव
-पौधारोपण से नहीं रहेगी, आॅक्सीजन की कमी
-भावी पीढ़ी के सर्वोत्तम स्वास्थ्य के लिए करें हरीतिमा संवर्द्धन
-पटाखों से निकलने वाली गैसें करती हैं, वायुमंडल को प्रदूषित

बदायूँ।अखिल विश्व गायत्री परिवार के मार्ग दर्शन में चल रहे प्रखर बाल संस्कारशाला की ओर से गांव दबिहारी में पौधारोपण किया गया। हरीतिमा संवर्द्धन का अभाव, हरे वृक्षों का अंधाधुंध कटान, वाहनों व फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंए, त्योहारों, मेलों, शादी समारोह में जलने वाले पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर संगोष्ठी हुई।
गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि हरीतिमा संवर्द्धन के अभाव, हरे भरे वृक्षों के कटान के साथ ही हमने अपने जीवन को खो दिया। पटाखों से और संकट पैदा कर रहे हैं। पटाखों से जलाने से सल्फर डाई आॅक्साइड, नाइट्रस, आॅक्साइड, कार्बन मोनो आॅक्साइड, हेवी मेटल्स सल्फर, लेड, क्रोमियम, कोबाल्ट, मरकरी मैग्निशियम निकलने वाली गैसों से वायुमंडल प्रदूषित हो गया है। हम सभी के लिए खतरनाक है। स्वस्थ व्यक्ति भी अचानक बीमार होकर मृत्यु को प्राप्त हो सकता है। वायु प्रदूषण से आँखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही है। कोविड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डाॅक्टर लोग मरीजों को गंम्भीर बताकर आईसीयू में भेज रहे हैं। बच्चों, वयस्कों और बुजुर्गों की इमरजेंसी भर्ती बढ़ रही है। मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। प्रदूषण से लोग बिना मौत मर रहे हैं।
निर्मल गंगा जन अभियान के सुखपाल शर्मा ने कहा कि त्योहारों, पर्वों और शादियों में खुशी जाहिर करने के लिए की गई अतिशबाजी में जलाए गए पटाखे वायु और ध्वनि प्रदूषण करते ही हैं। पटाखों में वाइंडर्स, स्टेबलाइजर्स, आॅक्सीडाइजर, रिडयूसिंग एजेंट और रंग मौजूद होते हैं। यह एंटीमोनी सल्फाइड, बेरियम नाइट्रेट, पोटोशियम, एल्यूमीनियम, ताबा, लिथियम और स्ट्रोंटियम के मिश्रण से बनें होते हैं। जिससे वायु प्रदूषण और बढ़ जाता है। हानिकारक रसायन से अल्जाइमर और फेफड़ों के भयंकर कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों का कारण बन रहे हैं।
आचार्य भवेश शर्मा ने कहा कि तेजध्वनि वाले पटाखे कानों की श्रवणशक्ति को क्षतिग्रस्त कर देते हैं। मनुष्य के कान 5 डेसीबल के आवाज को आसानी से सह सकते हंै। पटाखों की औसत ध्वनि स्तर लगभग 125 डेसीबल होती है। जिससे अनेकों घटनाएं घट जाती है। हम हर्ष फायरिंग में भी अपनों को ही खोते जा रहे हैं।
समाजसेविका आरती शर्मा ने कहा कि कारखानों, फैक्ट्रियों, मोटर वाहनों और कृषि अपशिष्ट जलाने से और भी प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। वृक्षों में ही अद्भुत क्षमता थी, जो वायुमंडल में व्याप्त प्रदूषण और कार्बन डाईआॅक्साइड को ग्रहण कर मनुष्य, पशु पक्षियों, वन्य प्राणियों और जीव जन्तुओं के लिए आॅक्सीजन देकर जीवनदान देते थे, वह भी हमने काट दिए। प्रकृति के उपहारों का सदैव दोहन किया। वृक्षों ने सदियों से अपना दायित्व निभाया। लेकिन हम मनुष्य होते हुए भी अपनी जिम्मेदारियों को भूल गए। जिसका परिणाम कोरोना जैसी महामारी के रूप में हमें देखने को मिल रहा है। अपने और भावी पीढ़ी के जीवन के लिए हरीतिमा संवर्द्धन करें। अपने त्योहारों, पर्वों, उत्सवों पर पटाखे नहीं, पौधारोपण करें। इस मौके पर भूमि, राधा, लवकुश, सौम्या, दीप्ति, हेमंत आदि मौजूद रहे।