जामिया इस्लामिया नज़रुल उलूम में मख़्दूमे मिल्लत मुफ़्ती अब्दूस्सलाम रहमतुल्लाह अलेह का उर्स बड़ी धूमधाम से मनाया गया जिसमें काफ़ी संख्या में उलेमाओं ने शिरकत की और अपने ख़यालात का इज़हार किया।मुफ़्ती अब्दूस्सलाम रहमतुल्लाह

सम्भल । हयात नगर थाना क्षेत्र के सरायतरीन में मशहूर मदरसा फ़ैज़ उल उलूम तथा मदरसा जामिया इस्लामिया के संस्थापक हैं। दीन के फ़रोग़ को आम करने के लिए उन्होंने इन मदरसों को 5 दशक पूर्व शिलान्यास किया था।फ़ैज़ गर्ल्स इंटर कॉलेज की भी स्थापना इन्ही की शिक्षाओं एवं दूरदर्शिता के चलते हुई।
कुल की महफ़िल की शुरुआत तिलावत क़ुरआन से हुई। उससे पहले क़ुरआन ख्वानी की गई। ज़ीआर्रहमान, मंसूर बाकिर, रेहबर बरकाती ने नात शरीफ़ पढ़ी। नईमुद्दीन
बरकाती ने अपनी खूबसूरत आवाज़ में नातओ मंकबत पेश की।
मदरसा ख़लीलउल उलूम से आये मौलाना तालिब मिस्बाही ने अपने संबोधन में कहा हमें मख़्दूमे मिल्लत की तालीमात पर अमल करने की ज़रूरत है। उन्होंने अपनी ज़िंदगी जैसी गुजारी उन्हीं नक़्शे क़दम पर चल हमें अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाना चाहिए।
मौलाना असनाद ने अपने ख़िताब में कहा जो क़ुरआन को अपना दोस्त बना लेता लेता है, अल्लाह उसकी मुश्किलें अदन कर देता है, क्योंकि क़ुरआन हिदायत देने वाली किताब है। मख़्दूमे मिल्लत ने मदरसे खोले और क़ुरान की तालीम को घर घर तक पहुँचाया।
काइद मिल्लत मौलाना नफ़ीस अख़्तर ने नसीहत करते हुए कहा क़ुरआन को ऐसे पढ़ें जैसे अल्लाह ताला से मुखातिब है और अल्लाह कलाम कर रहा है, इस नियत से क़ुरआन पढ़ेंगे तो बेशक अल्लाह हिदायत देगा।


मौलाना नफ़ीस अशफाक़ी ने मख़्दूमे मिल्लत की ज़िंदगी के बारे में बताते हुए कहा उनकी ज़िंदगी वलियों वाली ज़िंदगी थी, हमेशा मुस्कराते, बच्चों पर शफ़्क़त फरमाते और अपने उस्तादों का बहुत अदब करते थे।
मौलाना आरिफ़ ने अमन का पैग़ाम देते हुए कहा इस्लाम अमन पसंद मज़हब है और हमें अपने किरदार से अपने मज़हब को ज़ाहिर करना चाहिए।
अंत में सलातो सलाम के बाद सज्जादनशीन मुफ़्ती ज़ाहिद अली सलामी ने क़ौम मिल्लत के लिए दुआ करायी। संचालन मोलाना ज़ुबैर सलामी ने किया। इस अवसर पर सैंकड़ो ज़ायरीन मौजूद रहे जिनमे मुख्य रूप से मौलाना कामिल मिस्बाही, मौलाना शौक़त मिस्बाही, मौलाना फाजिल मिस्बाही, मौलाना शुएब, शफ़ीक़ अशफाक़ी, मौलाना अलकमा, मौलाना आमिर शुएब, मौलाना आरिफ़, मौलाना अज़ीमउर्रह्मान, मौलाना हसीबुर्रहमान, मौलाना आलिम, कारी अकबर, हाफ़िज़ इश्तियाक़, हाजी ज़फ़ीर अहमद, हाजी अब्दुल क़दीर, फ़ारूख़, फ़रमान, ताहिर सलामी, ज़की सलामी, मसरूर सलामी, सुहेल सलामी, जुनैद सलामी, कलीम अशरफ़ सलामी, मरघुब अहमद, शारिक़ जिलानी, महबूब नूरी आदि मौजूद रहे।

सम्भल से खलील मलिक कि ख़ास रिपोर्ट