LUCKNOW had 73 tons of OXIGEN but could not remove it from the capsule overnight

OXIGEN की कमी नहीं है। पर दिक्कत की ये बात रही की दूसरे शहरों या राज्यों से अलग अलग तकनीक वाले टैंकरों-कैप्सूल में आ रही ऑक्सीजन बड़े-बड़े सूरमा भी प्लांट के लिए निकाल नहीं पा रहे।बता दे आपको की बीते 24 घंटों में ऑक्सीजन की किल्लत अचानक बढ़ गई है। इसकी वजह यह है कि आई तो 73 टन OXIGEN थी लेकिन पूरी रात आला अफसर भी लाख कोशिश करते रहे लेकिन उसे प्लांट तक पहुंचाने के लिए उपकरण नहीं मिले। यहां तक कि एक TEAM को कानपुर पनकी तक दौड़ाया गया लेकिन वह बैरंग वापस लौट आई।

एडीएम से लेकर Commissioner तक रात में फोन पर फोन मिलाते रहे। कोई इंजीनियर से बात कर रहा था तो कोई स्थानीय मैकेनिकों से जोगाड़ तकनीक भिड़ाने के लिए अनुरोध कर रहा था। दूसरी तरफ अस्पतालों से लगातार सूचनाएं आ रही थीं। कहीं से सूचना आई कि आठ घंटे तो किसी ने बताया बस चार घंटों का ही बैकअप है। अफसरों के हाथपांव फूले जा रहे थे। एक अधिकारी ने गाड़ी भेजकर घर से ब्लड प्रेशर की दवा मंगवा कर खाई। एक अफसर ने बताया कि एक अधिकारी ने शासन कॉल कर मदद मांगी। किसी तरह मंगलवार के दिन चढ़ने तक 40 मीट्रिक टन ऑक्सीजन अनलोड हो पाई। इसके बाद प्लांटों से आनन फानन अस्पतालों को सप्लाई भेजी गई। अधिकारी के अनुसार अनलोडिंग के लिए एक खास तरह का होज पाइप, क्लंजर समेत अन्य उपकरण आते हैं।

राजधानी में कोई विशेषज् नहीं

अडानी समूह ने कैप्सूल के जरिए OXIGEN भेजी। इस कैप्सूल को खाली करने के लिए राजधानी में कोई विशेषज्ञ नहीं। यहां के engineers को इस Technology के बारे में मूलभूत जानकारी तक नहीं है। इसी तरह दो ट्रेलर आए जो काफी विशालकाय हैं। किसी रिफिलिंग प्लांट में भीतर तक ट्रेलर जाने के लिए स्थान ही नहीं है। ऐसे में जब तक ट्रेलर भीतर नहीं जाएंगे, ऑक्सीजन उतरेगी कैसे? इस सवाल का खबर लिखे जाने तक किसी के पास जवाब नहीं थ

मंत्रियों तक को सूचना दी गई

देर रात तक 60 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और आने की सूचना है। यदि यह ऑक्सीजन भी कैप्सूल और ट्रेलर में आई तो दिक्कत बढ़ जाएगी। मंत्रियों तक को सूचना दी गई है कि जहां से भी ऑक्सीजन आ रही है उनसे इतना जरूर कह दें कि उसे अनलोड करने वाले उपकरण जरूर साथ में भेजें। रंजन कुमार, कमिश्नर लखनऊ मंडल ने बताया कि रेलवे और अन्य विभागों से समन्वय किया गया है। जल्द ही ऑक्सीजन अनलोड करा ली जाएगी।