दहगवाँ। 8 दिसम्बर ‘‘शाकाहार है सुखद आहार, शुद्ध खून करता संचार’’। शाकाहार-शाकाहार, हार्स पावर, शाकाहार। ‘‘शाकाहारी हो जायेंगे, बीमारी से बच जायेंगे,’’ सरीखे नारों से जन समाज में नई प्रेरणा जगाते हुये, मद्यनिषेध की अपील करते हुये तथा कलयुग की सरल
साधना (नाम योग मार्ग) का भेद देते हुये 11 जिलों के भ्रमण के बाद जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं परम सन्त बाबा जयगुरुदेव महाराज के उत्तराधिकारी पूज्य पंकज महाराज कल सायंकाल कोठा के बगल ग्राम दानपुर अपने 103वें पड़ाव पर पधारे। स्थानीय भाई-बहनों ने पुष्पवर्षा तथा गाजे-बाजे के साथ समस्त काफिला यात्रियों का भावपूर्ण स्वागत किया।कल दोपहर 12 बजे सत्संग समारोह का आयोजन हुआ। कल यहां आयोजित सत्संग समारोह अपने सत्संग सम्बोधन में पूज्य महाराज ने कहा कि यह सत्संग है। कोई कथा, कीर्तन नहीं, किस्से कहानियां नहीं। सत्संग में किसी कौम, मजहब या किसी व्यक्ति विशेष की निन्दा आलोचना नहीं की जाती। सत्संग में तो केवल नाम की महिमा का वर्णन होता है। शब्द और आवाज की चर्चा होती है। हम इस दुनियां में आये तो आने का क्या रास्ता है? हम कौन हैं? कहां के हम रहने वाले हैं? और मरने के बाद हम कहां जायेंगे? हमारे परिवार वाले, रिश्ते, नातेदार कहां जायेंगे? हमने कभी नहीं सोचा। खाओ, पियो और मौज करो कि दुनियां में जीवन व्यर्थ में गंवाते चले जा रहे। जब कभी मौका मिला
तो मन के मुताबिक पूजा पाठ करके संतुष्ट हो लिये। महात्मा समझाते हैं कि जब आप मां के गर्भ में थे तो वहां की तकलीफों में प्रभु से वादा किया था कि मझे इस कष्ट से उबारो हम आपका भजन करेंगे। प्रमाण मिलता है कि मो पर कृपा करहु एहि भांती, सब तजि भजन करऊँ दिन राती।’’ लेकिन जैसे मां के गर्भ से बाहर धरती पर आये, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार ने इस जीव को चारों ओर से घेर लिया। जैसे ‘‘भूमि परत ढाबर पानी, जिमि जीवहिं माया लपटानी।।’’और हम अपने बाल-बच्चों, खेती, दुकान व दफ्तर तक ही सीमित रह गये। ऐसी दशा में महात्मा जब आकर हम जीवों को अपना परिचय देते हैं कि ‘‘ हम आये वहि देश से, जहां तुम्हारो धाम। तुमको घर पहुंचावना, एक हमारो काम।’’ वे समझाते है कि प्रभु को पाने के लिये आपको साधु नहीं बनना। घर गृहस्थी नहीं छोड़ना। खेती दुकान दफ्तर का काम मेहनत ईमानदारी से करते हुये, अपने बाल-बच्चों की सेवा, आये गये का सत्कार करते हुये 24 घण्टे में
घण्टा दो घण्टा समय निकाल कर भगवान का सच्चा भजन इस मनुष्य रूपी मन्दिर में कर लो जिसके लिये यह मानव तन मिलता है। लेकिन इसके लिये कलयुग की सरल साधना (सुरत शब्द योग मार्ग) करनी होगी। जिसे नाम योग मार्ग कहा जाता है। कलयुग केवल नाम अधारा सुमिरि सुमिरि नर उतरहिं पारा।’’ इसके लिये किसी जागृत महापुरुष, सिद्ध महात्मा जिन्होंने अंतर्मुखी साधना के द्वारा आत्मा को जगाकर परमात्मा को पा लिया हो जैसे कबीर दास, दादू, दरिया, जगजीवन साहब, मीराबाई, सहजोबाई आदि। इसी श्रृखला में हमारे गुरु महाराज परम सन्त बाबा जयगुरुदेव महाराज भी आते हैं जिन्होंने सन् 1950 से मई 2012 तक देश में करोड़ो लोगों को इसी नाम योग मार्ग का भेद (नामदान) देकर, उनसे भजन करा कर उनका जीवन बदल दिया। पंकज महाराज जी ने सुमिरन, ध्यान, भजन की क्रिया को बताकर उसे विधिवत् समझाया।
संस्थाध्यक्ष ने कहा कि हमारे गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव की भविष्यवाणी है कि लोगों के अशुद्ध खान-पान के कारण सचेत करते हुये कहा आगे भयंकर बीमारियां आयेंगी। डाक्टर समझ नहीं पायेंगे और न उनके पास उसकी कोई दवाई मिलेगी। यह सब अशुद्ध खान-पान (मांसाहार) व नशीले पदार्थ (शराब आदि) के सेवन के कारण होगी। आगे आने वाली भयंकर बीमारियों से अगर बचना और समाज को बचाना चाहते हैं तो आपसे अपील और प्रार्थना करता हूं कि आप सब शाकाहारी हो जायें और नशों का परित्याग करके अच्छे समाज के निर्माण में भागीदार बनें।
पुलिस प्रशासन का शांति एवं सुरक्षा व्यवस्था स्थापति करने में सहयोग रहा। उन्होंने आगामी 20 से 24 दिसम्बर तक जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में आयोजित होने वाले 75वें पावन वार्षिक भण्डारा सज्संग मेला में आने का निमन्त्रण दिया।
इस अवसर पर जयगुरुदेव संगत बदायूं के जिलाध्यक्ष उपदेश सिंह, जिला उपाध्यक्ष श्यामवीर, आयोजक सुरेश पाल यादव, भूस्वामी शिवचरन गुप्ता, प्रधान सुरेश गुप्ता, तेजपाल, दिनेश, हेमराज, अमर पाल, मास्टर नरेन्द्र, रियाज अहमद, बुद्धिराम, सहयोगी संगत गाजीपुर के अध्यक्ष इन्द्रदेव यादव आदि उपस्थित रहे।
जनजागरण यात्रा अगले पड़ाव हेतु ग्राम अलहदादपुर धोबई के लिये प्रस्थान कर गई। जहाँ कल (आज) दिन के 12 बजे से सत्संग समारोह आयोजित है।
रिपोर्टर शिव प्रताप सिंह