बदाँयू नैशनल मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के कैम्पस कार्यालय मे प्रेस कॉन्फ्रेंस मे जिलाध्यक्ष मुहम्मद आदिल खान का आरोप है कि केंद्र सरकार शिक्षकों को तय मानदेय नहीं दे रही है, जिससे अधिकांश मदरसे बंद होने की कगार पर आ गए हैं और शिक्षकों की हालत बद से बदतर होती जा रही है.इस भयंकर बीमारी से हर तरफ हाहाह कार मचा हुआ है। और मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक पैसे के अभाव में इलाज भी नहीं करा पारहा है। मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों की स्थिति इतनी दंडनीय है कि अब इस हाहाह कार में भीख भी मिलना मुश्किल होगया है।
इस कोरोना काल में 5 आधुनिकीकरण शिक्षकों की मौत होचुकी है।
लगभग बदाँयू जिला में 200 शिक्षक कोरोना की मार झेल रहे हैं
दरअसल, केंद्र सरकार स्कीम फॉर प्रोवाडिंग क्वॉलिटी एजुकेशन इन मदरसा (एसपीक्यूएम) यानी मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत पोस्ट ग्रैजुएट शिक्षकों को 12 हज़ार और ग्रैजुएट शिक्षकों को 6 हज़ार प्रतिमाह मानदेय देती है. मदरसा शिक्षकों का आरोप है कि पिछले 4 साल से एसपीक्यूईएम योजना के तहत मिलने वाला मानदेय नहीं मिल रहा है.
इसके तहत 2016-17 के सत्र से लेकर अब तक का किसी भी शिक्षक को मानदेय नहीं दिया गया है. इससे उनकी आर्थिक स्थिति बदतर हो रही है और शिक्षक नौकरी छोड़ने को भी मजबूर हो रहे हैं के साथ साथ इस बीमारी से निजात पाने के लिए मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के पास कुछ भी नहीं है।
मुहम्मद आदिल खान ने को बताया, ग्रेजुएट शिक्षक को छह हज़ार रुपये और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक को 12 हज़ार रुपये देती है जबकि राज्य सरकार ग्रेजुएट शिक्षक को दो हज़ार रुपये और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक को तीन हज़ार रुपये अलग से देती है. राज्य सरकार ने अपना अंश दे दिया है, लेकिन केंद्र ने पिछले 4 साल से अपना अनुदान नहीं दिया है. इससे शिक्षकों की भुखमरी की स्थिति आ गई है. प्रदेश के सभी मदरसा शिक्षकों की योग्यता मान्यता के अनुरूप है.”
उन्होंने कहा, “मदरसा शिक्षकों का केंद्र सरकार से पिछले 4 सालो से मानदेय बकाया है. इसी को लेकर नैशनल मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने 5 तारीख को सासंद मोहतरमा संघमित्रा मौर्या जी से मुलाकात करके इस मसला पर चर्चा करेंगे .