सम्भल। उपनगरी सराय तरीन में आज दिनाक 12/06/2023 बरोज पीर अल अमीन सोसाइटी के तत्वाधान में विश्व बालश्रम निषेध दिवस के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया सोसाइटी सयोजक मुहम्मद शारिक जीलनी ने बताया समाज में जनता को
विश्व बालश्रम निषेध दिवस पूरे विश्व में बाल मजदूरी के विरोध में मनाया जाता है। भारत देश के बारे में कहा जाए तो यहां बाल मजदूरी बहुत बड़ी समस्या है। भारत में बाल मजदूरी की समस्या सदियों से चली आ रही है। कहने को भारत देश में बच्चों को भगवान का रूप माना जाता है। फिर भी बच्चों से बाल मजदूरी कराई जाती है। जो दिन बच्चों के पढ़ने, खेलने और कूदने के होते हैं, उन्हें बाल मजदूर बनना पड़ता है। इससे बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।
जुनैद असलम ने अपने विचार में कहा कि इतनी जागरूकता के बाद भी भारत देश में बाल मजदूरी का खात्मा दूर-दूर तक नहीं दिखता है। इसके उल्ट बाल मजदूरी दिन व दिन बढ़ती जा रही है मौजूदा समय में गरीब बच्चे सबसे अधिक शोषण का शिकार हो रहे हैं। जो गरीब बच्चियां होती हैं, उन्हें पढ़ने भेजने की जगह घर में ही बाल श्रम कराया जाता है। छोटे-छोटे गरीब बच्चे स्कूल छोड़कर बाल-श्रम हेतु मजबूर हैं। बाल मजदूरी बच्चों के मानसिक, शारीरिक, आत्मिक, बौद्धिक एवं सामाजिक हितों को प्रभावित करती है। जो बच्चे बाल मजदूरी करते हैं, वो मानसिक रूप से अस्वस्थ्य रहते हैं और बाल मजदूरी उनके शारीरिक और बौद्धिक विकास में बाधक होती है। बालश्रम की समस्या बच्चों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करती है जो कि सविधान के विरुद्ध है और मानवाधिकार का सबसे बड़ा उल्लंघन है।
इस दौरान मौजूद रहें जुनैद असलम, मुहम्मद शारिक जीलानी, मुहम्मद नोमान, आजम बरकाती, अरबाज नवाब, मुहम्मद तालिब, मुहम्मद सुहैल, मुहम्मद अरहान, मुहम्मद हबीब, आदि।