पुलिस अधीक्षक क्राइम मुकेश कुमार की अध्यक्षता में बाल संरक्षण के मुद्दों पर कार्यशाला पुलिस लाइन सभागार में हुई सम्पन्न

। पुलिस अधीक्षक क्राइम मुकेश कुमार की अध्यक्षता में आज बाल संरक्षण के मुद्दों पर कार्यशाला पुलिस लाइन सभागार में सम्पन्न हुई।


पुलिस अधीक्षक क्राइम ने कार्यशाला में दिए गए निर्देशानुसार सभी लोग अपनी कार्यप्रणाली को और बेहतर बनाएं और समय-समय पर इस तरह की कार्यशाला बहुत ही सुधारात्मक प्रयास है। उन्होंने कहा कि यह ट्रेनिंग होते रहना चाहिए साथ ही पुलिस प्रशासन एवं विभिन्न अधिकारियों के समन्वय से ही किसी भी योजना एवं कानून समय से पुलिस के द्वारा लागू किया जा सकता है।


सहायक अभियोजन अधिकारी आकांक्षा सक्सेना ने किशोर न्याय अधिनियम में आने वाली विवेचक की समस्याओं को सुना और विस्तार से जानकारी दी कि किस प्रकार से तहरीर विवेचना और चार्जशीट में बिंदुओं को ध्यान रखना होता है और जैसे ही धारा में पीड़िता की उम्र परिवर्तित होती है उसकी अपराध की श्रेणी बदल जाती है। अतः सभी विवेचना को यह ध्यान रखना चाहिए कि अपराध करने का उद्देश्य भावना क्या है, किन परिस्थितियों में हुआ और उसमें कौन-कौन शामिल हो रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं एवं बच्चों की अपराधियों पर गंभीरता से ध्यान देने के लिए विभिन्न धाराओं के साथ किस सबसेक्शन को प्रयोग किया जाता है इसके लिए भी पुलिस को बहुत ध्यान से एफ0आई0आर0 में धारा पंजीकृत करना चाहिए एवं पोक्सो जैसे बच्चों से संबंधित लैंगिक अपराध की धाराओं को आईपीसी और सीआरपीसी की धारा के साथ लगाने में क्या सावधानियां रखना चाहिए यह भी विस्तार से बताया।


बाल विवाह एवं पोक्सो एक्ट के संबंध में सदस्य सुप्रीम कोर्ट की वकील एडवोकेट श्रद्धा सक्सेना ने अवगत कराया कि जो भी अभिलेख आप तहरीर के समय और विवेचना के समय माननीय कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करते हैं उसमें अंतर नहीं होना चाहिए और बहुत ही सावधानी से चार्ज शीट एफ0आई0आर0 और अपराध की गंभीरता एवं प्रकृति के अनुसार कार्यवाही की जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि विवेचक किसी भी मुकदमे में महत्वपूर्ण कड़ी होता है, जिसके अभिलेखों फाइंडिंग के आधार पर कोई व्यक्ति निर्दोष या सजा का हकदार माननीय कोर्ट के द्वारा घोषित किया जाता है। उन्होंने कहा कि किसी भी पीड़ित को न्याय मिलेगा या नहीं मिलेगा यह सभी विवेचक की और साक्ष्य संकलन की कार्यवाही पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि बहुत ही सजग होकर बच्चों और महिलाओं के कानूनों पर कार्यवाही की जानी चाहिए। विभिन्न प्रश्नों के जवाब भी श्रद्धा सक्सेना द्वारा दिए गए जो कि पुलिस बाल कल्याण अधिकारियों द्वारा ट्रेनिंग के दौरान पूछे गए।


जिला प्रोबेशन अधिकारी श्रीमती नीता अहिरवार ने महिला कल्याण विभाग से संचालित विभिन्न योजनाओं के विषय में विस्तार से जानकारी दी। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दिनेश चंद्र द्वारा देखरेख एवं संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों के प्रकरण में और सुधार करने के लिए कहा गया। साथ आयु के प्रमाण पत्र और कार्यवाही को सभी विवेचक ध्यान से सुने और समझे और फिर कार्यवाही सुनिश्चित करें। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने कार्यशाला में उपस्थित अतिथियों को मोमेंटो देकर धन्यवाद ज्ञापित किया।

बैठक में सहायक अभियोजन अधिकारी आकांक्षा सक्सेना, जिला प्रोबेशन अधिकारी नीता अहिरवार, बाल विवाह एवं पोक्सो एक्ट की सदस्य सुप्रीम कोर्ट की वकील एडवोकेट श्रद्धा सक्सेना, किशोर न्याय बोर्ड से सदस्य रश्मि सोनी, बाल कल्याण समिति सदस्य डॉ0 शीला एवं मोनिका गुप्ता, श्रम विभाग के सहायक श्रम अधिकारी, चाइल्ड लाइन की टीम जिला बाल संरक्षण इकाई के समस्त अधिकारी, संस्थाओं के प्रभारी सहित अन्य सम्बंधित अधिकारी उपस्थित रहे।