सहसवान। बताते चलें कि समाज व्यक्ति से जिन-जिन व्यवहारों की अपेक्षा करता है उन अपेक्षाओं के अनुरूप किया गया ऐच्छिक व्यवहार आदर्श मूल्य / नैतिक मूल्य कहलाता है । प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर तक के सभी शैक्षणिक संस्थानों से समाज यह अपेक्षा करता है कि वे व्यक्तित्व निर्माण में अपने छात्रों में समाज के अपेक्षित नैतिक मूल्य पोषित करें।अनायास उत्पन्न एक परिस्थिति में उच्च प्राथमिक विद्यालय हरदत्तपुर के छात्रों ने एक बहुत छोटी-सी दिखने वाली घटना पर एक बड़े नैतिक मूल्य की मिसाल पेश कर दी।
घटना है कि विद्यालय में अध्ययन रत एक बालिका की एक निजी वस्तु चोरी हो गयी मगर चोर और चोरी हुई चीज़ का पता नहीं लग सका जिसके कारण बालिका दुखी थी।इस पर अध्यापकों ने चोरी और चोर की काफी भर्तसना की और सभी को ऐसा न करने की हिदायत की मगर बालिका का दुख दूर होना और नुकसान की भरपाई होने में भर्तसना और हिदायत ने कोई फायदा नही पहुँचाया , वह यथावत दुखित थी।उसे अपने परिवार से भी जल्दी ही वह वस्तु के खरीद देने की आशा नहीं थी बल्कि परिवार से लापरवाही के इल्ज़ाम और डाँट उसको और दुखी कर रही थी।
इस घटना को प्रार्थना स्थल पर पुनः उठाकर विद्यालय ने छात्रों को एक नैतिक मूल्य के बारे में बताया कि किसी भी दुखी व्यक्ति को खुशी देना एक नैतिक मूल्य है ।समाज अच्छे लोगों से यह उम्मीद करता है। बताने के बाद सवाल किया गया कि आप भी ऐसा करेंगे? एक साथ आवाज़ आयी – “ यस सर।”
फिर सवाल किया एक इन्सान तो हमारे बीच में ही दुखी है, उसे कब खुशी देंगे ? सवाल से खामोशी छा गयी ।सभी बच्चे आशय नहीं समझे , अध्यापक ने बालिका की याद दिलाई और उसे उसकी वस्तु खरीदकर दे कर खुशी देने का नैतिक मूल्य प्रस्तुत करने की प्रेरणा दी ।
यह सुनते ही बच्चों ने अपने को किसी को खुशी देने वाले की स्थिति में महसूस कर अपने पर गौरव महसूस किया, फिर बच्चों ने सहयोग राशि की कीमत पूछी जो कम से कम रखी गयी मात्र एक रुपया इसके बाद तो तमाम बच्चों ने अगले दिन बढ़ चढ़ कर सहयोग राशि आपस में जमा की और कुछ ने तो दो, पाँच, छ:और दस रुपये का भी सहयोग किया।परिणाम स्वरूप वस्तु की कीमत से कुछ अधिक राशि जमा हो गयी।उक्त वस्तु को खरीद कर सभी बच्चों ने अपनी सहपाठी को उसकी चोरी हो गयी वस्तु को खरीदकर देकर खुशी प्रदान की।
इस घटना ने बालिका को सिर्फ उसकी वस्तु और खुशी नहीं दिलाई बल्कि विद्यालय के सभी छात्रों को एक बड़े नैतिक मूल्य के लिए प्रशिक्षित कर दिया।आपको बता दें कि अध्यापक इक़बाल अहमद स्कूल में बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ आप भाईचारे व समाज में हमें एक दूसरे की मदद और सहयोग कैसे करना है इसका शिक्षा के साथ-साथ प्रशिक्षण भी देते रहते हैं। जिससे गांव वासी सभी उनकी तारीफ करते हैं और वह चर्चा में बने रहते हैं। उनकी इसी लगन और मेहनत को देखते हुए कई बार चाहे बदायूं हो लखनऊ हो उन्हें सम्मानित किया जाता रहा है इस अवसर पर ग्राम प्रधान अनेग श्री भी मौजूद रहीं।
रिपोर्ट सैयद तुफैल अहमद